क्या आप भी अतिबला के फायदे (Atibala Benefits) के बारे में जानना चाहते है ? तो यह Article आपके लिए बहुत जानकारी भरी होने वाली है। इसलिए इसे पूरा और ध्यान से पढ़े।
अतिबला (Atibala) आयुर्वेद का बहुत ही गुणकारी वनस्पति वनौषधि है। अतिबला (Atibala) के पौधा का इस्तेमाल (Atibala Plant Uses) हमारे ऋषि मुनि प्राचीन काल से कई रोगो (Helth Problems) के इलाज (Treatment) में करते आये है।
यह भी कहा जाता है, कि अतिबला (Atibala) में नपुंसकता (Atibala benefits in Impotency) को भी दूर करने कि क्षमात होती है। यह स्वास्थ्य और आयु को भी बढ़ाता है।
बस आज के इस article “Atibala Benefits in Hindi” में हम आप लोगों को अतिबला से जुडी बहुत सी दुर्लभ जानकारियों को बताने वाला हूँ।
जिससे आपको निश्चित ही स्वास्थ्य लाभ (Atibala Health Benefits) मिलेगा। आइये अतिबला (Atibala) के बारे में और जानते है।
अतिबला क्या है (What is Atibala?)
Atibala एक वनस्पति जड़ी-बूटी (Herb) है। यह एक वनौषधि (Atibala Medicinal Plant) है जिसमे बहुत से लाभकारी गुण (Beneficial properties) पाए जाते है।
अतिबला के पौधा (Atibala Ka Paudha) का इस्तेमाल हमारे ऋषि मुनि प्राचीन काल से कई रोगो के इलाज में (Atibala use in in the treatment of many diseases) करते आये है।
अतिबला कई वर्षो तक हरा भरा रहने वाला एक झाड़ीदार पौधा (Atibala Tree) है। अतिबला कि मुख्य प्रजाति के अलावा दो और प्रजातिया पायी जाती है जिसका इस्तेमाल चिकित्सा (Medical use) में किया जाता है। जोकि निम्न है –
1- कंघिनि/घंटिका (Abutilon Pannosum (Forst) Schlect. A. Glaucum Sw)
कंघिनि/घंटिका का भी इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment) में किया जाता है। यह भी अतिबला की भाती काफी लम्बे समय तक हरा भरा रहता है। इसके फल भी अतिबला के फल (Atibala Fruits) की तरह होते है।
इसकी उचाई अतिबला से ज्यादा होती है। आयुर्वेदिक गुणों (Ayurvedic properties) में अतिबला से कम होने के कारण इसका इस्तेमाल कम होता है।
यह एक दर्दनासक सूजन को कम करने वाला घावों को भरने वाला तथा मधुमेह में फायेमंद (Atibala useful in diabetes) होता है।
2- चर्मिल अतिबला/चर्मिल कंकतिका (Abutilon Indicum (Linn) Sweet SSP. Guineense (Schum) Borss
चर्मिल अतिबला/चर्मिल कंकतिका भी अतिबला के जैसा दिखने वाला पौधा (Atibala kanghi plant) होता है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है।
इसकी संरचना खरपतवार की तरह होती है। इसके पुष्प हल्के पीले और लाल रंग के होते है।
इसका इस्तेमाल अतिबला से गुण (Atibala Properties) में कम होने के कारण बहुत कम होता है। इसमें सूजन तथा दर्द को ठीक करने (Pain relief) की क्षमता होती है।
यह खून बहने से रोकता है, कफ (Cough) निकलने में, पेशाब लाने में, बल प्रदान करने में सक्षम होता है।
अतिबला के अन्य प्रचलित नाम (Others Nicknames for Atibala)
अतिबला को कंघी (Atibala kanghi plant) के नाम से भी जाना जाता है। इसका लैटिन नाम Abutilon Indicum. (Linn) Sweet, Syn-Abulition Asiaticum (Linn) Sweet है। यह Malvaceae Family का वनस्पति है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है –
- ककही, कंघी, झम्पी
- Indian Mallow, Country Mallow
- कंकतिका,अतिबला, कंघी (Kanghi Paudha)
- पीलिस (Pilis), नाकोचोनो (Nakochono)
- वोड्डली पेट्टारी (Voddlipettari)
- श्रीमुद्रीगिडा (Srimudrigida)
- डावली (Dabali), कांसकी (Kanski), खपाट (Khapat)
- पेरूनदुत्ति (Perundutti)
- तुत्तुरीबेंडा (Tutturibenda), बोतलाबेंडा (Botalabenda)
- पोटारी (Potari)
- कंगियो (Kangio), अतिबुल (Atibul)
- पीली बूटी (Peeli Buti), कंगी (Kangi)
- पेटारी (Petaari), कासुले (Kasule)
- वेलूराम (Velluram), कट्टूराम (Katturam), उरम (Uram)
- मस्त उल गुल (Mast Ul Ghul), दीशार (Deeshar)
- दरख्त ए शाहनाह (Darkht E Shahnah)
अतिबला का पहचान व स्वरूप (Atibala identification and description)
यह एक बहुवर्षायु, श्वेत मखमली रोमावरण युक्त एक से दो मीटर उचा वनस्पति पौधा होता है। इसके पत्ते (Atibala leaves) दन्तुर, दृदयाकार एवं लम्बेवृन्तयुक्त होता है।
इसके पुष्प (Atibala flower) पीतवर्णी होते है, तथा फल (Atibala fruits) चक्राकार गोल कंघी की तरह होता है।
अतिबला का स्वाद कैसा होता है (Taste of atibala)
Atibala का स्वाद मधुर (मीठा) Sweet होता है।
अतिबला का औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाले अंग (Atibala plant parts used as medicine)
इसका औषधि के रूप में मुख्यतः मूल (जड़) की छाल (Atibala root bark), पत्र (पत्ते) (Atibala leaves) तथा बीज (Atibala seed) इस्तेमाल होता है।
अतिबला के आयुर्वेदिक गुण (Ayurvedic properties of atibala plant)
Atibala वेदनाहर, मृदुरेचक, कफशामक, मूत्रल, वातहर, बाजीकारक तथा स्वेदजनन होता है।
अतिबला के रासयनिक संगठन (Atibala Chemical Constituents)
इस वनौषधि में गोसीप्टीन (Gossypetin), ग्लूकोसीड्स (Glucosides), सायनीडीन (Cyanidin), रुटीनोसाइड्स (Rutinosides), उत्तपत्ततेल (Essenlial Oil) पाए जाते है।
अतिबला मूल (Atibala root) में –
- मेद अम्ल (Fatty Acids)
- ऐस्पारजीन (Aspargin),
- रेफिनोज (Rafinose) पाए जाते है।
इसके कांड तथा पत्ते ( Atibala Scandle and leaves) मे –
- ऐल्कानॉल (Alkanol)
- बीटा-सीटोस्टिरॉल (Beta-Sitosterol)
- वैनिलिक अम्ल (Vanillic Acid)
- कैफिक अम्ल (Caffeic Acid)
- फ्युमारिक अम्ल (Furmaric Acid)
- फ्रुक्टोज (Fructose)
- ग्लूकोज (Glucose)
- गैलेक्टोज (Galactose)
- ल्युसीन (Leucin)
- हिस्टीडीन (Histidine)
- थ्रियोनिन (Threonin)
- सराईन (Serine)
- ग्लूटामिक अम्ल (Glutamic Acid) तथा ऐस्पारटिक अम्ल (Aspartic Acid) पाए जाते है।
अतिबला के फायदे और उपचार (Atibal benefits and treatment)
अतिबला के फायदे और उपचार की विधियाँ इस प्रकार हैं –
नपुंसकता के इलाज में अतिबला फायदेमंद (Atibala Beneficial to Treat Impotency in Hindi)
अतिबला का बीज (Atibala Seed) नपुंसकता (Impotency) को दूर करने में अति सहायक होता है। इसके बीज के चूर्ण को प्रातः शाम लेने से नपुंसकता दूर होती है।
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मूत्राशय शोथ में अतिबला के फायदे (Atibala beneficial to cure Bladder Inflammation in hindi)
मूत्राशय शोथ (Bladder Inflammation) में अतिबला के बीज का चूर्ण (Atibala seed powder) का सेवन करने से फायदा होता है।
आँखों के लिए लाभदायक है अतिबला (Atibala Benefits For Eye Problme in Hindi)
जिनके आँखो में समस्या (Eye Problem) जैसे कम दिखाए देना, आँखों के आगे दुँधलापन होना आदि। उनके लिए लिए अतिबला बहुत फायदेमंद (Atibala Ke Fayde) होता है।
4 ग्लास पानी (Water) में अतिबला के ताजे (Atibala Leaves) पत्ते डाल कर उसको तबतक उबालिये जबतक की वह एक गिलास ना हो जाए, फिर उस पानी को ठंडा कर के आँखों को धोने से लाभ होता है।
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दाँत दर्द में अतिबला का इस्तेमाल (Use of Atibala in Treatment of Tooth Ache in Hindi)
अतिबला के पत्तो (Atibala Leaves) का क्वाथ से कुल्ला करने से दाँतो का दर्द (Toodh Ache) ठीक होता है। तथा मसूड़ों की सूजन समाप्त होती है। इसके क्वाथ का कुल्ला करने से ढीले मसूड़ों की समस्या (Gum diseases) भी समाप्त होती है।
खाँसी में लाभदायक है अतिबला का चूर्ण (Benefits of Atibala Powder in Cough in Hindi)
अतिबला के मूल का चूर्ण (Atibala Root Powder), घी के साथ लेने से खाँसी में लाभ होता है। तथा अगर किसी को खून की उल्टी (Hematemesis) हो रही हो तो उसमे भी यह लाभ पहुँचाता है।
इसके मूल का चूर्ण (Atibala Ka Churna) का वासा के पत्तो (Vasa leaves) के साथ मिलाकर उससे बने काढ़ा पिने से भी Cough में लाभ होता है।
पेचिश में फायदेमंद है अतिबला की सब्जी (Atibala Benefits in treatment of Dysentery in Hindi)
अतिबला के ताजे पत्ते से बनी सब्जी में घी मिलाकर खाने से पेचिश में लाभ होता है।
आयु बढ़ाने में सहायक है अतिबला (Atibala use for long life in Hindi)
इसके मूल (Atibala Root) के रस में दूध (Milk) या घी (Ghee) और मधु (Honey) मिलाकर प्रातः खली पेट सेवन करने से आयु तथा स्वास्थ्य (Health) बढता है।
अतिबला के सेवन से बवासीर बवासीर ठीक होता है (Atibala benefits in Piles Treatment in Hindi)
इसके बीज का चूर्ण (Atibala Seed Powder) बवासीर में काफी लाभ देता है। इसके बीज के चूर्ण को रातभर पानी में भिगो कर, उस पानी को प्रातः पिने से Piles ठीक होता है।
अतिबला के पत्तो (Atibala Leaves) की बनी सब्जी खाने से भी बवासीर ठीक होता है। अतिबला के मूल का चूर्ण (Atibala Root Powder) बना कर उसमे मधु (Honey) मिलाकर सेवन करने से भी Piles में लाभ होता है।
अतिबला के ताजे पत्तो का काढ़ा पिने से भी बवासीर में लाभ होता है।
मूत्र रोग (पेशाब से संबंधित रोग) के इलाज में लाभदायक है अतिबला (Uses of Atibala to Cures Urine Disease in Hindi)
Urine Problem (पेशाब से संबंधित रोग) में अतिबला के बीज का चूर्ण (Atibala Seed Powder) का सेवन करने से लाभ होता है।
अतिबला के मूल (Atibala Root) से बने काढ़ा पिने से पेशाब से संबंधित सभी प्रकार के रोग में लाभ होता है। अतिबला के मूल का क्वाथ का निग्रहण मूत्र रोग (Urine Disease) में लाभकारी होता है।
डायबिटीज में फायदेमंद है अतिबला (Atibala benefits in cure Diabetes in Hindi)
जिनको भी डायबिटीज है, अतिबला के बीज का चूर्ण (Atibala Seed Powder) के साथ मधुनाशनी (Madhunashini), मुलेठी (Liquorice), आमलकी (Amalaki), हरीतकी (Harad or Haritaki), विविताकि तथा दालचीनी (Dalchini or Cinnamon) लेने से काफी फायदा (Atibala Ke Fayde) होता है।
पथरी के लिए लाभकारी है अतिबला का प्रयोग (Atibala benefits for Kidney Stone in Hindi)
अतिबला के ताजे पत्तो (Atibala leaves) का रस तथा मूल (Atibala root) के रस से बने काढ़ा पिने से, पथरी पेशाब के रस्ते टूट कर बाहर निकल जाती है।
रक्तप्रदर (महावारी में अधिक खून का बहना) में फायदेमंद है अतिबला (Atibala is beneficial in Metrorrhagia Problem in Hindi)
Metrorrhagia Problem (रक्तप्रदर) में अतिबला के मूल का चूर्ण (Atibala root powder) मधु (Honey) के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
अतिबला के इस्तेमाल से सफेद दाग का इलाज (Benefits of Atibala to cure Leucoderma in Hindi)
सफेद दाग में अतिबला के मूल का चूर्ण (Atibala Churna) में चन्दन, तुवरक तेल, बकुची तेल मिलाकर, इसका कल्क बनाकर सफेद दाग पर लेप करने से काफी लाभ होता है।
घाव भरने में सहायक है अतिबला (Use of Atibala in Wound Healing in Hindi)
अतिबला के ताजे पत्तो से बना कल्क, अथवा इसके बने काढ़ा से घाव को धोने से, तुरंत लाभ मिलता है। तथा घाव (Wound) भी जल्दी भर जाता है।
उन्माद में लाभकारी है अतिबला का सेवन (Atibala is Beneficial in Mania Problem in Hindi)
मैनिया (उन्माद) में अतिबला के ताजे पत्तो के स्वरस में, गुड़ मिलाकर सेवन करने से उन्माद (Mania) में लाभ होता है।
विषम ज्वर में अतिबला का इस्तेमाल (Atibala use in Typhoid fever in Hindi)
अतिबला के मूल और शुण्ठी (Shunthi) का क्वाथ बनाकर पिने से बुखार या विषम ज्वर में लाभ होता है।
मिरगी रोग में अतिबला का प्रयोग (Atibala use in Epilepsy in Hindi)
अतिबला के मूल से बने चूर्ण को प्रातः और शाम सेवन करने से लाभ होता है।
पीलिया में अतिबला का सेवन फायदेमंद (Atibala benefits in cure Jaundice in Hindi)
अतिबला के मूल के चूर्ण में, शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है। इसके मूल से बने काढ़े का सेवन से भी काफी फायदा (Atibala Ke Fayde) होता है।
मासिक धर्मचक्र रूकने और अनियमितता को रोकने में अतिबला का प्रयोग (Atibala use in Menstrual Cycle in Hindi)
अनियमितता को ठीक करने में, या मासिक धर्मचक्र रूकने में, अतिबला बहुत लाभकारी होता है।
इसके मूल के चूर्ण (Atibala Churna) में शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
अतिबला से श्वेत प्रदर का इलाज (Benefits of Atibala in Leucorrhoea in Hindi)
श्वेत प्रदर की समस्या (Leucorrhoea Problem) को दूर करने में अतिबला अति सक्षम है। अतिबला में पाए जाने वाले एंटीबैट्रिअल गुण के कारण, यह श्वेत प्रदर में काफी लाभ पहुँचता है। अतिबला का मूल, छाल, पत्र, बीज सभी अंग पौष्टिक गुण वाले होता है। यह महिलाओं (Female) की अंदरूनी कमजोरी को भी दूर है।
धातु (टिशू) गाढ़ा करने में अतिबला का प्रयोग (Use of Atibala Root for Semen in Hindi)
अतिबला के मूल के रस में दूध या घी और मधु मिलाकर, प्रातः खली पेट सेवन करने से शरीर में धातुओ की पुष्टि होती है।
धातु गाढ़ा होता है। इसके इस्तेमाल के समय चावल घी तथा दूध का सेवन जरूर करना चाहिए।
मसूढ़ो के ढीलापन और सूजन के इलाज में अतिबला लाभकारी (Atibala beneficial to treat Gum Loosening in Hindi)
अतिबला के पत्तो का क्वाथ से कुल्ला करने से, ढीले मसूड़ों की समस्या समाप्त होती है।
साथ ही दाँतो का दर्द ठीक होता है। तथा मसूड़ों की सूजन भी समाप्त होती है।
प्रमेह (वीर्य प्रमेह) में अतिबला का प्रयोग (Atibala use in Gonorrhoea in Hindi)
अतिबला के बीज तथा छाल का क्वाथ बनाकर सेवन करने से, प्रमेह (वीर्य प्रमेह) की समस्या समाप्त होती है।
शरीर की जलन में फायदेमंद है अतिबला (Atibala Leaves beneficial in Body Inflammation in Hindi)
अतिबला के पत्तो से बने कल्क को रात भर पानी में भिगो दे।
सुबह उस पानी पिने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
शारीरिक कमजोरी में लाभदायक है अतिबला (Benefits of Atibala Root in Body Weakness in Hindi)
अतिबला के मूल के रस में, दूध या घी और मधु मिलाकर प्रातः खली पेट और शाम को सेवन करने से, शारीरिक कमजोरी दूर होती है। तथा शरीर में धातुओ की पुष्टि होती है। धातु गाढ़ा होता है, बुद्धि भी बढ़ती है तथा याददाश्त भी बढ़ती है। इसके इस्तेमाल के समय चावल घी तथा दूध का सेवन जरूर करना चाहिए।
बिच्छू का जहर उतारे में अतिबला का प्रयोग (Atibala Root Benefits in Scorpion Venom in Hindi)
अतिबला के मूल के कल्क को बिच्छू के कटे गए स्थान पर, लगाने से आराम मिलता है।
दर्द और सूजन कम होता है।
अतिबला के सेवन का तरीका (How to Use of Atibala in Hindi?)
Atibala का प्रयोग करने से पहले, किसी स्वास्थ्य चिकित्स्क से परामर्श कर के ही करना चाहिए।
अतिबला के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Atibala in Hindi?)
विशेष प्रस्थितियो को छोड़कर, मूल का चूर्ण अगर इस्तेमाल कर रहे है, तो एक तोला।
बीज का चूर्ण 4 से 8 माशा इस्तेमाल करना चाहिए।
अतिबला कहा पाया जाता है (Where is Atibala Found in Hindi)
Atibala एक ऐसा वनस्पति पौधा (Atibala Plant) है, जो सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है।
गर्म प्रदेशो में यह स्वतः उग जाता है। कही कही इसकी लोग खेती भी करते है।
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