Vajroli Mudra कैसे करते है? | वज्रोली मुद्रा के लाभ

दोस्तों आज का लेख वज्रोली मुद्रा (Vajroli Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि वज्रोली मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? तो चलिए शुरू करते है –

Vajroli Mudra

वज्रोली मुद्रा – Vajroli Mudra in Hindi

संस्कृत के वज्र शब्द से वज्रोली बना है, जिसका अर्थ होता है, वज्रपात, बिजली या प्रभुत्व वाला। वज्रोली वह शक्ति है जो ऊपर की ओर विधुत वेग से गतिमान होती है। व्रज उस नाड़ी का नाम है, जो प्रजनन अंगों को मस्तिष्क से जोड़ती है।

वज्रोली मुद्रा करने की विधि – Vajroli Mudra Steps in Hindi

  • सबसे ध्यान के किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाइये।
  • सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन में वज्रोली मुद्रा करने से अधिक लाभ मिलता है।
  • अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
  • दोनों हाथो को चिन्न मुद्रा या ज्ञान मुद्रा में घुटनो पर रखें।
  • अब आँखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
  • कुछ मिनटों के लिए स्वाभाविक श्वसन करते रहें।
  • अब अपनी सजगता को मूत्र मार्ग पर ले जाइये।
  • अपने श्वास को अन्दर ले और रोक ले। और मूत्र मार्ग को ऊपर की ओर खींचने का प्रयास करें।
  • यह खिंचाव (आकुंचन) क्रिया ठीक वैसी ही होती है, जैस कि मूत्र त्याग की क्रिया को कुछ समय तक रोकने के लिए की जाती है।
  • पुरुषों के वृषण में इस आकुंचन के कारण थोड़ी गति होनी चाहिए।
  • संकुचन की क्रिया को मूत्र मार्ग में ही केंद्रित एवं सिमित करने का प्रयास करें।
  • संकुचन करते समय करे थोड़ा आगे की ओर झुक जाने से इस बिंदु को अलग करने में सहायता मिलती है।
  • जब तक आराम से सम्भव हो, संकुचन को रोक कर रखें।
  • अब संकुचन को ढीला करते हुए श्वास छोड़े और शरीर को शिथिल करें।
  • इसी तरह 2 बार और अभ्यास को दुहराए।

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वज्रोली मुद्रा करने की अवधि – Duration 

प्रारम्भ में Vajroli Mudra का दो से तीन संकुचन तक ही करें। कुछ समय के बाद धीरे धीरे अवधि को बढ़ाते हुए 10 से 15 चक्रो तक ले जाये।

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वज्रोली मुद्रा करते समय सजगता – Awareness 

Vajroli Mudra को करते समय शारीरिक रूप से आपकी सजगता संकुचन के बिंदु को जननांगों से अलग रखने पर होना चाहिए। आध्यात्मिक रूप से स्वाधिष्ठान चक्र पर होना चाहिए।

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वज्रोली मुद्रा अभ्यास का समय – Time of Practice in Vajroli Mudra in Hindi

Vajroli Mudra का अभ्यास आप किसी भी समय कर सकते है। लेकिन इस मुद्रा को खाली पेट करने से ज्यादा लाभ मिलता है।

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वज्रोली मुद्रा करने की सीमायें – Vajroli Mudra Contra-indications in Hindi

इस मुद्रा को उन्हें नहीं करनी चाहिए जिनके मूत्र मार्ग में संकम्रण या शोथ से पीड़ित हो, क्योंकि इससे उत्तेजना और दर्द बढ़ सकता है।

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वज्रोली मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Vajroli Mudra in Hindi

  • यह मुद्रा समस्त मूत्र-प्रजनेन्द्रिय प्रणाली के कार्य को नियमित बनाती है।
  • वज्रोली मुद्रा मूत्र-प्रजनेन्द्रिय प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है।
  • यह मुद्रा मूत्र मार्ग में बार बार होने वाले संकम्रण और मूत्र को न रोक पाने की अक्षमता को दूर करती है।
  • वज्रोली मुद्रा मानसिक कामजनित द्वंदों और अवांछित यौन विचारों से ऊपर उठने में भी सहायक होती है।
  • Vajroli Mudra वृषण से स्रावित हार्मोन्स (Hormones) के स्तर और शुक्राणुओं की संख्या को संतुलित करता है।
  • यह मुद्रा समय से पूर्व स्खलन पर नियंत्रण प्रदान करता है।
  • वज्रोली मुद्रा अन्तः स्रावी प्रणाली और स्थानीय ऊर्जा संरचना को शक्ति प्रदान कर नपुंसकता को ठीक करता है।
  • यह मुद्रा प्रोस्टेट ग्रंथि की अति वृद्धि को रोकता है।

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