दोस्तों आज का लेख सहजोली मुद्रा (Sahajoli Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि सहजोली मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? तो चलिए शुरू करते है –
सहजोली मुद्रा – Sahajoli Mudra in Hindi
यह मुद्रा केवल महिलाओं के लिए है। सहजोली संस्कृत शब्द सहज से बना है, जिसका अर्थ होता है,सरल। यह मुद्रा सहज रूप से अतीन्द्रिय प्रवृति को जाग्रत करता है।
सहजोली मुद्रा करने की विधि – Sahajoli Mudra Steps in Hindi
- सबसे ध्यान के किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाइये।
- सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन में सहजोली मुद्रा करने से अधिक लाभ मिलता है।
- अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
- दोनों हाथो को चिन्न मुद्रा या ज्ञान मुद्रा में घुटनो पर रखें।
- अब आँखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- कुछ मिनटों के लिए स्वाभाविक श्वसन करते रहें।
- अब अपनी सजगता को मूत्र मार्ग पर ले जाइये।
- अपने श्वास को अन्दर ले और रोक ले। और मूत्र मार्ग को ऊपर की ओर खींचने का प्रयास करें।
- यह खिंचाव (आकुंचन) क्रिया ठीक वैसी ही होती है, जैस कि मूत्र त्याग की क्रिया को कुछ समय तक रोकने के लिए की जाती है।
- स्त्रियों के भगोष्ठ में इस आकुंचन के कारण थोड़ी गति होनी चाहिए।
- संकुचन की क्रिया को मूत्र मार्ग में ही केंद्रित एवं सिमित करने का प्रयास करें।
- संकुचन करते समय करे थोड़ा आगे की ओर झुक जाने से इस बिंदु को अलग करने में सहायता मिलती है।
- जब तक आराम से सम्भव हो, संकुचन को रोक कर रखें।
- अब संकुचन को ढीला करते हुए श्वास छोड़े और शरीर को शिथिल करें।
- इसी तरह 2 बार और अभ्यास को दुहराए।
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सहजोली मुद्रा करने की अवधि – Duration in Sahajoli Mudra in Hindi
प्रारम्भ में इस मुद्रा का दो से तीन संकुचन तक ही करें। कुछ समय के बाद धीरे धीरे अवधि को बढ़ाते हुए 10 से 15 चक्रो तक ले जाये।
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सहजोली मुद्रा करते समय सजगता – Awareness
Sahajoli Mudra को करते समय शारीरिक रूप से आपकी सजगता संकुचन के बिंदु को जननांगों से अलग रखने पर होना चाहिए। आध्यात्मिक रूप से स्वाधिष्ठान चक्र पर होना चाहिए।
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सहजोली मुद्रा अभ्यास का समय – Time of Practice
Sahajoli Mudra का अभ्यास आप किसी भी समय कर सकते है। लेकिन इस मुद्रा को खाली पेट करने से ज्यादा लाभ मिलता है।
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सहजोली मुद्रा करने की सीमायें – Sahajoli Mudra Contra-indications in Hindi
इस मुद्रा को उन्हें नहीं करनी चाहिए जिनके मूत्र मार्ग में संकम्रण या शोथ से पीड़ित हो, क्योंकि इससे उत्तेजना और दर्द बढ़ सकता है।
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सहजोली मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Sahajoli Mudra in Hindi
- यह मुद्रा समस्त मूत्र-प्रजनेन्द्रिय प्रणाली के कार्य को नियमित बनाती है।
- सहजोली मुद्रा मूत्र-प्रजनेन्द्रिय प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है।
- यह मुद्रा मूत्र मार्ग में बार बार होने वाले संकम्रण और मूत्र को न रोक पाने की अक्षमता को दूर करती है।
- सहजोली मुद्रा मानसिक कामजनित द्वंदों और अवांछित यौन विचारों से ऊपर उठने में भी सहायक होती है।
- Sahajoli Mudra वृषण से स्रावित हार्मोन्स के स्तर और शुक्राणुओं की संख्या को संतुलित करता है।
- सहजोली मुद्रा गर्भाशय (Uterus) के भ्रंश को ठीक करती है।
- यह मुद्रा समय से पूर्व स्खलन पर नियंत्रण प्रदान करता है।
- सहजोली मुद्रा अन्तः स्रावी प्रणाली और स्थानीय ऊर्जा संरचना को शक्ति प्रदान कर नपुंसकता को ठीक करता है।