आज का लेख “Gyan Mudra (ज्ञान मुद्रा)” के बारे में है. इसे किसे करना चाहिए और किसे नहीं। ज्ञान मुद्रा के लाभ और नुकासन क्या है? ज्ञान मुद्रा को करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? इन सब के बारे में विस्तार से जानेगे. तो चलिए शुरू करते है।
ज्ञान मुद्रा – Gyan Mudra in Hindi
संस्कृत में ज्ञान शव्द का अर्थ होता हैं – बुद्धिमत्ता। ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है. अंग्रजी में ज्ञान मुद्रा को Gesture of Knowledge or Mudra of Knowledge कहा जाता हैं। प्राणायाम और ध्यान करते समय योग से अधिक लाभ लेने हेतु ज्ञान मुद्रा को अभ्यास में जोड़ा जाता हैं। ज्ञान मुद्रा को करने से वायु महाभूत बढ़ता है, इसलिए इसे वायु वर्धक मुद्रा भी कहा जाता है। ज्ञान मुद्रा को शिरोमणि मुद्रा भी कहा जाता है। यह मुद्रा हाथो से संबंधित मुद्रा है इसी लिए इसे हस्त मुद्रा भी कहते है। ज्ञान मुद्रा व्यक्ति को ध्यान की उच्च अवस्था में ले जाती है। यही कारण है कि इसे प्राणायाम और ध्यान करते समय साथ में किया जाता है.
ज्ञान मुद्रा करने की विधि – Gyan Mudra Karne Ki Vidhi
इस मुद्रा को करने की विधि बहुत सरल है। यह मुद्रा इतना आसान है कि इसे कोई भी कर सकता है. ज्ञान मुद्रा के नियमित अभ्यास से बुद्धि तेज होती है, जो सर्वोच्च ज्ञान को बढ़ाती है। योगासन, प्राणायाम और ध्यान का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए, ज्ञान मुद्रा को अभ्यास में जोड़ा जाता हैं।
तो चलिए जानते है ज्ञान मुद्रा करने का सही तरीका (Gyan Mudra karne ka shi Trika)
- सबसे पहले ध्यान के किसी आसन जैसे- सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
- अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ रखें।
- अब दोनों हाथ की तर्जनी उँगलियों को इस प्रकार मोड़ें कि उनका स्पर्श अँगूठे के आधार (मूल) से हो.
- दोनों हाथ की अन्य तीनो उँगलियों को इस प्रकार सीधा रखें कि वह एक दूसरे से अलग और शिथिल रहें.
- हाथों और भुजाओं की शिथिल करें.
- आँखों को बंद कर नियमित श्वसन करते रहें।
- मन से सारे विचार निकालकर ॐ पर केन्द्रित रहें.
ज्ञान मुद्रा करने का सही समय – Jnana Mudra Karne Ka Shi Samay
इस मुद्रा को आप कभी भी और कहीं पर कर सकते है। आप इसे चलते–फिरते, सोते–जागते, उठते–बैठते कभी भी कर सकते है। मुद्राओं का प्रभाव लम्बे समय में दिखता है इस लिए इसका अभ्यास देर तक करना चाहिए। ज्ञान मुद्रा का अभ्यास 15 मिनट से लेकर 45 मिनट तक कर सकते है।
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ज्ञान मुद्रा करने का क्रम – Jnana Mudra Karne Ka Sequence in Hindi
इस मुद्रा को ध्यान का अभ्यास करते समय करना चाहिए। योगासन और प्राणायाम के साथ ज्ञान मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता है.
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ज्ञान मुद्रा के लाभ – Gyan Mudra Benefits In Hindi
- इससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं, बुद्धि का विकास होता और एकाग्रता बढती है।
- ज्ञान मुद्रा से स्मरण शक्ति बढती है और मानसिक शक्ति का विकास होता है।
- इस मुद्रा से मस्तिष्क के ज्ञान तन्तु क्रियाशील होते हैं।
- ज्ञान मुद्रा से सिर दर्द और माइग्रेन (Migraine) में लाभ होता है। अगर इसे प्राण मुद्रा के साथ किया जाए तो अधिक लाभ होता है।
- यह मुद्रा बैचेनी, पागलपन, चिडचिडापन, क्रोध इत्यादि रोगों में लाभकारी है।
- ज्ञान मुद्रा से शांति प्राप्त होती है। अनिद्रा रोग और बेहोसी में भी यह काफी लाभकारी है।
- अगर आप आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति पाना चाहते है तो यह मुद्रा अति आवश्यक है।
- ज्ञानमुद्रा की निरन्तर अभ्यास से मानव का ज्ञान तन्त्र विकसित होता है ।
- इसका नियमित अभ्यास से छठी इंद्री (Sixth Sense) का विकास होता है। इससे भूत, भविष्य तथा वर्तमान की घटनाओं का आभास किया जा सकता है।
- ज्ञानमुद्रा से दूसरों के मन की बातों को जान सकने की क्षमता प्राप्त होती है।
- ध्यान और समाधि में ज्ञानमुद्रा अनिवार्य है।
- ज्ञानमुद्रा ह्रदय रोग में लाभकारी है।
- ज्ञान मुद्रा से त्वचा रोग दूर होते हैं, यह सौंदर्यवर्धक है। ज्ञान मुद्रा से चेहरे के दाग और झाइयाँ दूर होती हैं. इससे चेहरे की आभा बढती है।
- ज्ञानमुद्रा के नियमित अभ्यास से कामवासना घटती है।
- ज्ञान मुद्रा से स्नायु मण्डल को शक्तिशाली बनाता है.
- उँगलियों के पोरों और हथेलियों में नाड़ियों का अन्त होता है। जिनसे निरंतर ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। जब तर्जनी ऊँगली, अंगूठे को स्पर्श करती है, तो एक ऊर्जा पथ का निर्माण होती है। और जो ऊर्जा सामान्य रूप से वातावरण में बिखर कर नष्ट हो जाती है। वह शरीर में वापस आकर मस्तिष्क की ओर जाती है। जिससे शरीर में प्राण का स्तर बना रहता है।
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ज्ञान मुद्रा प्रकारान्तर – Gyan Mudra Variation in Hindi
इसके अभ्यास में अंगूठे और तर्जनी के अग्र भागों को एक दूसरे का स्पर्श कराया जाता है, जिससे एक वृत्त का निर्माण होता है. जबकि प्रारम्भिक अभ्यास में तर्जनी को अंगूठे के मूल में लगा कर रखते है.
प्राम्भिक अभ्यासियों को यह प्रकारान्तर कम सुरक्षित लग सकता है, क्योकिं लम्बे समय तक ध्यान में बैठने पर शरीर की चेतना लुप्त होने लगती है, तब अंगूठे एवं तर्जनी एक दूसरे से अलग हो जाते है. अतः जब प्रारम्भिक अभ्यास में निपुणता हो जाये तभी इस अभ्यास को करना चाहिए.
ज्ञान मुद्रा में सावधानियां – Precaution For Gyan Mudra In Hindi
अधिकतम लाभ पाने के लिए ज्ञान मुद्रा का अभ्यास सुबह खाली पेट करना चाहिए।
ज्ञान मुद्रा करने के तुरंत बाद भोजन न करें।
इसको करते समय किसी भी प्रकार का दर्द एवं कठनाइयां महसूस होने पर इसको वहीं रोक दे.
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निष्कर्ष – Conclusion
Gyan Mudra बहुत ही आसान और सरल मुद्रा है। इसे कोई भी आसानी से कर सकता है।
ज्ञान मुद्रा करने में किसी प्रकार की कठनाईया एवं दर्द महसूस नहीं होता है। यह बहुत ही सुरक्षित मुद्रा है.
ज्ञान मुद्रा प्रभाव बहुत सूक्ष्म होता है। इसके द्वारा चेतना में होने वाले परिवर्तन को महसूस करने के लिए, अभ्यासी को बहुत संवेदनशील होना पड़ता है।
इसके निरंतर और नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक कई लाभ होते है.
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