360 Degree Postural Medicine इस कांसेप्ट को Dr. Biswaroop Roy Chowdhury ने Design किया है। डॉ बिस्वरूप राय चौधरी एक Internationally Renowned Medical Nutritionist हैं। 360° पोस्चयुरल मेडिसिन से पहले भी डॉ बिस्वरूप राय ने कई कांसेप्ट दिए है जैसे – DIP डाइट, NICE प्रोटोकॉल या 3 सटेप फलू डाइट (3 step flu Diet) आदि। उनका उदेश्य रहता है कि मानवजाति के कष्ट तथा पीड़ा को कम करने में मदद की जा सके।
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360° पोस्चयुरल मेडिसिन क्या है (360 Degree Postural Medicine in Hindi)
दोस्तों 360° पोस्चयुरल मेडिसिन दुनिया की सबसे तेज एमर्जेन्सी दवा है। यह एक ऐसी एमर्जेन्सी दवा है, जो सबसे अधिक तेजी से असर दिखाने वाली, सुरक्षित, दुष्प्रभावों से रहित और असरदार है। यह चिकित्सा के सर्वमान्य तंत्र एलोपैथी की तुलना में पोस्चयुरल मेसडसिन कहीं अधिक साक्ष्यों पर आधारित, भरोसेमंद और आपातकालीन चिकिस्ता देने में तेज है।
360° पोस्चयुरल मेडिसिन दीर्षकालीन रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
इसमें धरती की सबसे महान शक्ति गुरुत्वाकर्षण को दवा के रूप में उपयोग किया जाता है।
पोस्चयुरल मेडिसिन कैसे काम करती है? इसे सीखने के बाद व्यक्ति इस योग्य हो जाता है कि वह स्वयं 27 प्रमुख दशाओं और जानलेवा स्वास्थ्य दशाओं का प्रवंधन कर सकता है।
Credit – 360 Degree Postural Medicine में प्रदान जानकारी Dr. Biswaroop Roy Chowdhury ने Design किया है। और इसे हम मुनष्य की सहायता और स्वास्थ्य लाभ हेतु, सरल भाषा में पुनः दे रहे है।
चेतावनी- 360° पोस्चयुरल मेडिसिन में प्रदान की गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। कृपया इस Postural Medicine को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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पोस्चयुरल मेडिसिन कैसे काम करती है ?
इसे समझने के लिए आपको ग्रेड सिस्टम को समझना पड़ेगा। GRAD SYSTEM (ग्रेड सिस्टम) का अर्थ होता है ग्रेवीटेशनल रेजिस्टेंस और डाइट सिस्टम (GRAD System – Gravitational Resistance and Diet system). यह यह एक ऐसी तकनीक है जो बहुत ही कम खर्चे में रोगी का उपचार करती है। इसमें रोगी को अपनी चिकित्सा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
GRAD SYSTEM (ग्रेड सिस्टम)
ग्रेड सिस्टम को आप दो चरणों वाली चिकित्सा पद्धति बोल सकते है। इसमें पहले चरण में गुरुत्वाकर्षण प्रतिरोध का प्रयोग कर रोगी को पहले आपातकाल से बाहर निकाला जाता है। दूसरे चरण में Diet system के द्वारा उसे उसे स्थाई रूप से रोगमुक्त करने का प्रयास किया जाता है। इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते है –
Covid-19 के दौरान एक समय ऐसा भी हुआ था कि लोगो को breathing difficulty होने लगी थी। ऑक्सीमीटर से जाँच करने पर पता चला की शरीर में SPO2 की मात्रा गिरती जा रही है। जिसके चलते रोगियों को हॉस्पिटल में वेंटीलेटर पर डाला जाने लगा था।
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वहीं NICE expert के पास गये मरीजों को जिन्हें breathing difficulty हो रही थी। फेफड़ो में दिक़्क़त आ रही थी या जिन्हे निमोनिया हो गया था उन्हें प्रोन वेंटिलेशन दिया गया। और पाया गया कुछ ही मिनटों में रोगी का ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगा। और कुछ घंटो की प्रोन वेंटिलेशन देने के बाद ऑक्सीजन के स्तर में इतना सुधार हो गया की प्रोन वेंटिलेशन की जरूरत नहीं रही।
इसके बाद उन मरीजों को 3 स्टेप फ़्लू डाइट (3 Step Flu Diet) और डी. आई. पी. (DIP Diet) के माध्यम से शरीर में मृत हो चुकी कोशिकाओं को जीवित करने का कार्य किया गया। जबकि अस्पतालों में ऐसे मरीजों को गंभीर घोषित कर वेंटीलेटर पर डाल दिया जाता था।
डायलसिस के लिए 360° पोस्चयुरल मेडिसिन (360 Degree Postural Medicine for Dialysis)
अगर ऊपर बताए गए GRAD SYSTEM (ग्रेड सिस्टम) यानि ग्रेवीटेशनल रेजिस्टेंस और डाइट सिस्टम (GRAD System – Gravitational Resistance and Diet system) को ठीक से फॉलो किया जाए, तो किडनी के रोगियों को Dialysis से छुटकारा मिल सकता है।
पहले चरण में – रोगी को गर्म पानी से भरे टब में बैठाना होता है।
दूसरे चरण में – रोगी को सिर नीचे करते हुए लेटाना होता है। तथा साथ में DIP Diet को फॉलो करना होता है।
यदि आप सोच रहे है कि क्या मात्र इतना करने मात्र से डायलिसिस से छुटकारा मिल सकता है? तो इसका जबाब है हाँ मिल सकता है।
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इस टेक्निक को अपनाते समय आपको केवल छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखना होता है। आप पाएंगे की आपको डायलिसिस से छुटकारा मिल गया। जैसे पहले चरण में आपको ध्यान देना है –
- बाथ टब में पानी का स्तर कितना होना चाहिए ?
- तो इसका जबाब है- कम से कम 500 लीटर।
- बाथ टब का माप कितना होना चाहिए ?
- तो इसका जबाब है – दरअसल उसका माप 27 x 27 इंच है और उसकी लंबाई पाँच फीट तक होनी चाहिए।
- पानी का तापमान कितना रखा जाना चाहिए।
- तो इसका जबाब है- हॉट वाटर इमरशन @40 डिग्री सेल्सियस पर 2 घंटे तक।
- रोगी के बैठने की पोजीशन क्या होगी।
- तो इसका जबाब है- दोनों पैरों को आगे कर इस तरह बैठना है की पानी गर्दन तक हो।
- शरीर का कितना हिस्सा गर्म पानी में डूबना चाहिए।
- तो इसका जबाब है- गर्दन तक।
- उसे रोज कितनी देर गर्म पानी में बैठना है?
- तो इसका जबाब है- 2 घंटे तक।
- ठीक इसी प्रकार दूसरे चरण में आपको ध्यान देना है जैसे –
- लेटते समय रोगी के सिर को कितने कोण पर नीचे होना चाहिए?
- तो इसका जबाब है- हैड डाउन टिल्ट @10 डिग्री पर 1 घंटे तक।
बाथ टब में बिठाने से होने वाले लाभ (HWI)
- (HWI) तकनीक को अपनाने से सोडियम का उत्सर्जन पाँच गुना हो जाता है ।
- पोटाशियम का उत्सर्जन दुगना हो जाता है ।
- मूत्र विसर्जन की मात्रा तिगुना हो जाती है ।
- शरीर के वजन और सूजन में कमी आती है ।
- यूरिया और यूरिक एसिड शरीर से निकल जाता है ।
पोस्चयुरल मेडिसिन के लाभ (Benefits of 360 Degree Postural Medicine)
- 70 प्रसतशत डायलिस रोगियों का डायलिस तुरंत प्रभाव से रोका जा सकता है।
- उच्च रक्तचाप के सौ प्रतिशत रोगी बिना किसी दवा के तुरंत अपने रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते है।
- इस थेरिपी की मदद से किसी रोगी के ऑन गोइंग हार्ट अटैक को रोका जा सकता है।
- इसकी मदद से लीवर सिरोसिस को रोक सकते है।
- इसकी थेरिपियों की सहायता से फाइबरोमाइलसिया को रोक कर, रोगी को स्वस्थ कर सकते है।
- अनिद्रा रोग का उपचार किया जा सकता है।
- इससे किसी भी तरह के जीव-जंतु के काटने, डंक मारने आदि से होने वाले दर्द का प्रभावी दर्द प्रबंधन हो सकता है।
- इन थेरिपियों की मदद से किडनी/लीवर ट्रांसप्लांट को रोका जा सकता है।
- इन थेरिपियों में सभी न्यूरोडिजेनेरेटिव रोगो की चिकित्स्ता शामिल है। जिनमे पार्किन्सन, अल्जाइमर आदि शामिल है।
- रोगी को इन थेरिपियों को अपनाने से हल्के एनेस्थीसिया जैसा प्रभाव मिलता है।
- जिससे रोगी के मन और शरीर को शांत होने में मदद मिलती है।
Very interesting and informative knowledge
Thank you for your feedback