आज का लेख “Maha Bandha कैसे करते है?” के बारे में है. इसे किसे करना चाहिए और किसे नहीं। महाबन्ध के लाभ और नुकासन क्या है? Maha Bandha को करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? इन सब के बारे में विस्तार से जानेगे. तो चलिए शुरू करते है।
महाबन्ध – Maha Bandha in Hindi?
इसका नाम महा बन्ध इसलिए दिया गया है कि इसमें तीनों बन्ध एक साथ लगते है. अर्थात जब जालन्धर बन्ध, उड्डियान बन्ध और मूलबन्ध एक साथ लगते है तब महाबन्ध लगता है.
महाबन्ध कैसे करते है? – Maha Bandha Kaise Karte Hai?
इसको करने की विधि इस प्रकार है –
- सबसे पहले सिद्धासन/सिद्धयोनि आसान या पद्मासन में बैठ जायें।
- दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
- आपने मेरुदण्ड और सिर को सीधा रखें।
- अब आँखों को बंद कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- नाशिकाछिद्रों से गहरी श्वास फेफड़ों में भर ले.
- अब मुख से पूरी श्वास को बाहर निकाल ले और श्वास को बाहर ही रोक लें.
- सबसे पहले जालन्धर बन्ध, फिर उड्डियान बन्ध और आखिर में मूलबन्ध इसी क्रम में लगायें।
- जितनी देर तक आराम से बिना जोर लगाये बन्धों और श्वास को रोक सकें रोकें।
- पहले मूलबन्ध फिर उड्डियान बन्ध और आखिर में जालन्धर बन्ध को इसी क्रम में हटायें।
- अब सिर को सीधा करें और धीरे धीरे श्वास को अन्दर लें।
- यह महाबन्ध का एक चक्र हुआ.
- अपनी आँखों को बन्द ही रखें, जब शरीर शिथिल और श्वास-प्रश्वास सामान्य हो जायें तब दूसरा चक्र करें.
महाबन्ध में सजगता – Awareness in Maha Bandha in Hindi
आपकी सजगता शरीरिक रूप से तीनों बन्ध को लगा लेने के बाद चेतना को मूलाधार, उदर, और गले में इसी क्रम से घुमाये। चेतना को अगले क्षेत्र में ले जाने से पहले प्रत्येक क्षेत्र के प्रति कुछ क्षणों तक सजग रहें।
आध्यात्मिक रूप से तीनों बन्ध को लगा लेने के बाद चेतना को मूलाधार,मणिपुर और विशुद्धि चक्र इसी क्रम से घुमाये। चेतना को अगले चक्र में ले जाने से पहले प्रत्येक चक्र के प्रति कुछ क्षणों तक सजग रहें।
महाबन्ध की अवधि – Duration of The Great Lock in Hindi
इसकी चक्रों की संख्या धीरे धीरे बढ़ानी चाहिए। जबतक महा बन्ध में दक्षता प्राप्त ना हो जाये तबतक चक्र को नहीं बढ़ाना चाहिए। दक्षता प्राप्त हो जाने के कुछ समय बाद एक-एक कर के 9 चक्रों तक महाबन्ध का अभ्यास किया जा सकता है.
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महाबन्ध का क्रम – The Great Lock Sequence in Hindi
इसका अभ्यास आसन (Asana) और प्राणायाम (Pranayama) के बाद और ध्यान (Meditation) से पहले किया जाना चाहिए। महा बंध आदर्श रूप से मुद्रा (Mudra) और प्राणायाम (Pranayama) के संयोजन के साथ किया जाता है. इससे महाबन्ध का प्रभाव काफी बढ़ जाता है.
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महाबन्ध में सावधानियाँ – Precaution in Maha Bandha in Hindi
इसका अभ्यास तबतक नहीं करनी चाहिए जबतक तीनो बांधों (जालन्धर बन्ध, उड्डियान बन्ध और मूलबन्ध) में दक्षता प्राप्त ना हो जाये।
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महाबन्ध की सीमायें – Maha Bandha Contra-indications in Hindi
इसमें निम्नांकित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है –
- महाबन्ध उच्च रक्तचाप अथवा निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति को नहीं करनी चाहिये।
- हृदय रोग से ग्रसित या जिनको दिल का दौरा (Stroke) पड़ा हो उन्हें महाबन्ध का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- हर्निया, आमाशय या आँतों के अल्सर से पीड़ित या किसी भी प्रकार के आँत से संबन्धित रोग से उबर चुके व्यक्ति को महाबन्ध का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को भी महाबन्ध अभ्यास नहीं करना चाहिए।
महाबन्ध के लाभ – Maha Bandha Benefits in Hindi
इसके अभ्यास के निम्नलिखित लाभ होते है-
- महाबन्ध से तीनों बन्धों (जालन्धर बन्ध, उड्डियान बन्ध और मूलबन्ध) का लाभ प्राप्त होता है.
- यह पीनियल ग्रंथि के हार्मोनल स्राव को प्रभावित करता है और पूरे अंतःस्रावी तंत्र को नियंत्रित करता है।
- महाबन्ध से शरीर के क्षय, ह्रास और बुढ़ापे की प्रक्रियायें थम जाती हैं और शरीर के प्रत्येक कोशिका को पुनर्जीवन प्राप्त होता है.
- इसको करने से क्रोध शांत होता है।
- महाबन्ध ध्यान के पूर्व मन को अन्तर्मुखी बनाता है.
- यदि महाबन्ध के अभ्यास में पूर्णता प्राप्त हो जाये, तो यह मुख्य चक्रों में प्राणों को पूरी तरह से जागृत कर सकता है.
- महाबन्ध अग्नि मंडल में प्राण, आपन और समान का विलय कराता है, जो सभी प्राणायामों का अंतिम बिंदु है.