दोस्तों आज का लेख Nasikagra Drishti Mudra के बारे में है। इस लेख में हम जानेंगे कि नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग कैसे करते है। Nasikagra Mudra करने का सही तरीका क्या है। Nasikagra Yoga Mudra के फायदे क्या है? Nasikagra Drishti करते समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए? तो चलिए इसको विस्तार से जानते है और लेख को शुरू करते है।
नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग क्या है ? – Nasikagra Drishti Mudra in Hindi
नासिकाग्र का अर्थ होता है नाक का आखिरी छोर, ऊपरी हिस्सा या अग्रभाग। इस अभ्यास का दूसरा नाम अगोचरी मुद्रा है। संस्कृत में इसका अर्थ इन्द्रिय बोध के परे, अज्ञात या अदृश्य होता है। नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा साधक को सामान्य सजगता के परे जाने में सहायक होता है।
Nasikagra दृष्टि मुद्रा – प्रारम्भिक अभ्यास
जब हम शुरू में नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग का अभ्यास करते है। तो नासिका के अग्र भाग पर दृष्टि को केंद्रित करना कठिन होता है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए, शुरू में एक भुजा समाने फैलाकर तर्जनी को खड़ा रखें और उस पर दृष्टि केंद्रित करें। धीरे धीरे तर्जनी ऊँगली को नासिका के निकट लायें। दृष्टि को स्थिरता से तर्जनी पे टिका कर रखें। जब तर्जनी नासिका के अग्र भाग को स्पर्श करे, तब भी आँखे ऊँगली पर ही टिकी होनी चाहिए।
अब अपनी आखों को नासिकाग्र पर केंद्रित करें और हाथ को नीचे कर लें। बाद में यह विधि अनावश्यक प्रतीत होने लगती है और आंखे इच्छानुसार आराम से नासिकाग्र पर टिक जाती है।
नासिकाग्र दृष्टि कैसे करते है? – Nasikagra Drishti Yoga Mudra in Hindi
- सबसे पहले ध्यान के किसी आरामदायक आसन में बैठ जाइए।
- अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
- हाथ को ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra) या चिन मुद्रा में अपने घुटनों पर रखें।
- अपने आँखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- अब अपने आँखों को खोल कर उन्हें नासिकाग्र पर केन्द्रित करें।
- पुरे अभ्यास में किसी प्रकार का जोर न डाले।
- जब आँखें सही ढंग से केंद्रित हो जाएगी तो नासिका को दो बहरी रेखायें दिखाई पड़ेगी। ये दोनों रेखाये नासिकाग्र पर मिल कर उल्ट V के समान आकृति निर्माण करती है।
- उलटे V की ऊपरी नोक पर एकाग्रता का अभ्यास करें।
- अपने मन को अन्य सभी विचरों से हटा कर पूरी तरह अभ्यास में लीन करने का प्रयास करें।
- कुछ क्षणों के बाद आँखों को बंद कर ले और अभ्यास को दुहराने के पूर्व उन्हें शिथिल करें।
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नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा करते समय श्वसन – Breathing in Nasikagra Yoga in Hindi
जब तक आँखों को नीचे देखने का अभ्यास न हो जाये, तब तक समान्य श्वसन करते हुए नासिकाग्र दृष्टि का अभ्यास करना चाहिए। बाद में अन्तर्कुम्भक के साथ अभ्यास किया जा सकता है। किन्तु बहिर्कुम्भक के साथ नहीं। जब अभ्यास को अन्तर्कुम्भक के साथ जोड़ रहे हो, तब श्वास एवं प्रश्वास के समय आँखों को बन्द रखें।
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नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा में सजगता – Awareness in Nasikagra Drishti Mudra in Hindi
नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग के अभ्यास में आँखे खुली रहती है। फिर भी इसका उद्देश्य आत्मनिरीक्षण की स्थिति उत्पन्न करना है। खुली आँखें बाह्य जगत के प्रति सजग नहीं रहनी चाहिए। नासिका के अग्र भाग पर दृष्टि केंद्रित करने से मन में एकाग्रता आती है।
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Nasikagra Drishti Yoga Mudra अभ्यास का समय
नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा का अभ्यास प्रातः काल या सोने के पूर्व रात में किया जा सकता है। इसका अभ्यास दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।
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नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा की सीमायें – Contraindications of Nasikagra Mudra in Hindi
इसमें निम्नांकित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है –
1- ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2- डायबिटिक रेटिनोपैथी वाले या जिनकी अभी-अभी मोतियाबिंद सर्जरी, लेंस इम्प्लांट या अन्य नेत्र ऑपरेशन हुआ है, उन्हें नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग नहीं करनी चाहिए।
3- हमेशा नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग को सक्षम शिक्षक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
4- विषादग्रस्त व्यक्तियों को नासिकाग्र का अभ्यास नहीं करना चाहिए, क्योकिं यह अन्तर्मुखता लाता है।
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नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग लाभ – Benefits of Nasikagra Drishti Mudra Yoga
क्रोध और मानसिक विक्षेप को दूर करने के लिए नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग एक उत्तम अभ्यास है।
इसको करने से एकाग्रता शक्ति का विकास होता है।
नासिकाग्र दृष्टि योग मुद्रा मूलाधार चक्र को जाग्रत करने और ध्यान (Meditation) की स्थिति लाने में सहायक होती है।
यह व्यक्ति को आध्यात्मिक चेतना के स्तर तक ले जाती है।
नासिकाग्र दृष्टि स्नायविक तनाव, चिन्ता, अवसाद एवं अनिद्रा से मुक्ति दिलाकर तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है।
यह स्मरण शक्ति को बढ़ाता है एवं दृढ़ इच्छा शक्ति का विकास करता है।
नासिकाग्र दृष्टि योग मुद्रा आज्ञा चक्र को क्रियाशील बनाता है।
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