दोस्तों आज का लेख “Shambhavi Mudra कैसे करते है?” के बारे में है। शांभवी मुद्रा योग मुद्राओं में की जाने वाली एक शक्तिशाली मुद्रा है। इसके नियमित अभ्यास से आप चिंता और तनाव से छुटकारा पा सकते है। शांभवी मुद्रा के लाभ क्या है? शांभवी मुद्रा किसे करना चाहिए किसे नहीं। शांभवी मुद्रा के नुकसान क्या है? इसके फायदे क्या है? इन सभी बातों को आप आज विस्तार से जानने वाले है। तो चलिए शुरू करते है।
शाम्भवी मुद्रा क्या है? – Shambhavi Mudra in Hindi
Shambhavi Mudra क्रिया योग का एक अभिन्न अंग है। शाम्भवी भगवान शिव की अर्धांगनी है। एक परम्परा के अनुसार भगवान शम्भु ने शाम्भवी को शाम्भवी मुद्रा का ज्ञान दिया था। जिससे कि शाम्भवी उच्च सजगता की प्राप्ति कर सके। इसी लिए इस मुद्रा का नाम शांभवी मुद्रा पड़ा। शांभवी मुद्रा के कई अन्य नाम भी है जैसे – शांभवी मुद्रा शाम्भवी मुद्रा, शांभवी महामुद्रा, शाम्भवी महामुद्रा, शिव मुद्रा आदि। यह मुद्रा भगवान शिव की अत्यन्त प्रिय मुद्रा है। इस योग मुद्रा का अभ्यास हमेसा योग्य गुरु के मार्ग दर्शन में ही करना चाहिए।
शाम्भवी मुद्रा कैसे करते है? – Shambhavi Mudra Kaise Karte Hai?
चाहें कोई आसान हो, प्राणायाम हो, मुद्रा हो या कोई यौगिक क्रिया। अगर उसे सही विधि से ना किया जाये तो नुकसान भी हो सकता है। यहां पर आपको शाम्भवी मुद्रा की सही विधि बताई जा रही है। ताकि आपको इसका अधिकतम लाभ मिल सके।
1- सबसे पहले ध्यान के किसी आसन जैसे- सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में आराम से बैठ जाये।
2- अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
3- दोनों हाथों को ज्ञान या चिन मुद्रा में घुटनों पर रखें।
4- आँखों को बन्द कर गहरी श्वसन करे और पुरे शरीर को शिथिल करें।
5- अपने ललाट, आँखों और आँखों के पृष्ठ भाग और पुरे चेहरे की पेशियों को तनाव मुक्त व शिथिल करें।
6- अब धीरे से आँखों को खोल कर सामने किसी निश्चित बिंदु पर दृष्टि केंद्रित करें।
7- अब निश्चित बिंदु से दृष्टि को ऊपर उठाकर अन्दर की ओर लाते हुए भ्रूमध्य पर केंद्रित करें।
8- दोनों भौहें नाशिका मूल पर V की आकृति बनाती है। अगर ऐसा नहीं हो रहा हो तो, समझ ले कि आँखों को सही ढंग से, भ्रू मध्य पर केंद्रित नहीं किया गया है।
9- इस पूरी क्रिया में आपका सिर बिलकुल स्थिर होना चाहिए।
10- किसी भी प्रकार की कोई असुविधा होने पर, आँखों को सामान्य स्थिति में लाकर बन्द कर ले और विश्राम करे।
11- आराम की स्थिति में आ जाने पर पुनः प्रक्रिया को दोहराये।
12- इस तरह शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास किया जाता है।
शाम्भवी मुद्रा में श्वसन – Breathing in Shambhavi Mudra in Hindi
इस मुद्रा को करते समय श्वास का तालमेल और नियंत्रण बहुत आवश्यक है। शाम्भवी मुद्रा को लगाते समय जब आखों को ऊपर उठाये, तो धीरे धीरे श्वास को अंदर ले। शाम्भवी मुद्रा में रहते हुए श्वास को रोक कर रखें। जब दृस्टि को निचे करे तब श्वास को धीरे धीरे छोड़े।
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शाम्भवी मुद्रा कितनी देर तक करनी चाहिए – Shambhavi Mudra Duration in Hindi
प्रारम्भ में 5 चक्रों तक अभ्यास करें। जब अभ्यास में निपुणता हो जाये। तो कुछ महीनो के बाद धीरे धीरे इसे 10 चक्रों तक किया जा सकता है।
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शाम्भवी मुद्रा में सजगता – Awareness in Shambhavi Mudra in Hindi
इसका अभ्यास करते समय आपकी सजगता, शरीरिक रूप से आंखों में संवेदनाओं पर,और चक्करों के बीच उन्हें आराम देने पर होनी चाहिए। आध्यत्मिक रूप से आज्ञा चक्र पर होना चाहिए।
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शाम्भवी मुद्रा करते समय सावधानियाँ – Precautions in Shambhavi Mudra in Hindi
यह एक शक्तिशाली योग मुद्रा है। अगर शाम्भवी मुद्रा करते समय सावधानियाँ नहीं बरती गयी। तो इससे आपको नुकसान हो सकता है।
हमारी आँखें बहुत ही संवेदनशील होती है। इसलिए शाम्भवी मुद्रा के अन्तिम स्थिति में, अधिक देर तक नहीं रहना चाहिए।
यदि किसी का स्नायु दुर्बल हो तो अधिक जोर पड़ने पर रेटिनल डिटैचमेंट हो सकता है।
ग्लूकोमा या डाइबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित व्यकित को शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
जिनको आँखों में किसी प्रकार की समस्या हो, या मोतियाबिंद की हाल ही में ऑप्रेशन हुआ हो, उन्हें शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास बिना किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के नहीं करनी चाहिए।
शाम्भवी मुद्रा की सीमायें – Contraindications of Shambhavi Mudra in Hindi
इसमें निम्नांकित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है –
1- ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2- डायबिटिक रेटिनोपैथी वाले या जिनकी अभी-अभी मोतियाबिंद सर्जरी, लेंस इम्प्लांट या अन्य नेत्र ऑपरेशन हुआ है, उन्हें शाम्भवी मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
3- हमेश शाम्भवी मुद्रा को सक्षम शिक्षक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
आंतरिक शाम्भवी मुद्रा – Internal Shambhavi Mudra in Hindi
यह शाम्भवी मुद्रा का उच्च अभ्यास है। Internal Shambhavi Mudra को करने की विधि शाम्भवी मुद्रा को करने की विधि के जैसे ही है। बस इसमें आखों को बंद करके इसका अभ्यास किया जाता है। लेकिन यह तब की जाती है जब खुली आँखों से शाम्भवी मुद्रा में दक्षता प्राप्त हो जाये।
खुली आखों के अभ्यास से, आंतरिक शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास ज्यादा शक्तिशाली होता है। इस विधि में आपकी सजगता अधिक अंतर्मुखी होती है। इसमें आपको यह सावधानी बरतनी होती है कि, आपकी जानकारी के बिना, आपकी आँखे न शिथिल हो और नहीं अभ्यास बन्द हो। आँखों को बंद होने के बावजूद भी आंतरिक रूप से ऊपर की ओर एकटक देखते रहना है।
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शांभवी मुद्रा करने के फायदे – Shambhavi mudra benefits in Hindi
Shambhavi mudra को करने के कई फायदे है। कहा जाता है कि इस मुद्रा के अभ्यास से भगवान शम्भु प्रसन्न होते है। जो लोग भगवान शिव की पूजा व अर्चना करते है, उनके लिए शांभवी मुद्रा बहुत ही फलदायक सिद्ध होता है। इसको करने से साधक को उच्च चेतना की स्थिति प्राप्त होती है। शांभवी मुद्रा को करने से हमे लगभग हर तरह के फायदे होते है। जिसके बारे में नीचे विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है।
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शांभवी मुद्रा करने के शारीरिक लाभ – Shambhavi physical benefits in Hindi
शारीरिक स्तर पर शाम्भवी मुद्रा, आँखों की पेशियों को मजबूत बनती है।
यह आँखों के आस पास के क्षेत्रो के तनाव को दूर करती है।
यह मुद्रा आखों की मृत कोशिकाओं को पुर्नजीवित करने में काफी मदद करता है।
शाम्भवी मुद्रा के अभ्यास से आंखों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
शाम्भवी मुद्रा का नियमित अभ्यास करते है, तो यह आपके उम्र को काफी लंबा कर देता है।
यह मुद्रा आपको लंबी उम्र का वरदान देता है।
इस मुद्रा को करने से हमारे शरीर में नए न्यूरॉन (Neuron) उतपन्न होते है। जो हमे रोगो से छुटकारा दिलाने में मदद करते है।
शाम्भवी मुद्रा को करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
शांभवी मुद्रा करने के मानसिक लाभ – Shambhavi mental benefits in Hindi
मानसिक स्तर पर शाम्भवी मुद्रा, भवनात्मक तनाव और क्रोध को दूर कर मन को शांत करता है।
इसका नियमित अभ्यास से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
यह मुद्रा मानसिक स्थिरता और विचार शून्यता की अवश्था लाती है।
शांभवी मुद्रा का नियमित अभ्यास पियूष ग्रंथि के ह्रास को रोकता है।
बच्चों के भावनात्मक विकास (जिनकी उम्र 8 वर्ष से ऊपर है) को संतुलित करने के लिए बहुत ही अच्छा अभ्यास है।
शांभवी मुद्रा करने के आध्यात्मिक लाभ – Shambhavi spiritual benefits in Hindi
इसका अभ्यास आज्ञा चक्र को कम समय में खोलने का सबसे असरदार तरीका है।
शांभवी मुद्रा का नियमित अभ्यास आपके आज्ञा चक्र को सक्रिय करता है।
आज्ञा चक्र जागृत होने पर हमारे अंदर सोई हुई शक्तियों जागरण होता है।
यह जागृत शक्तिया आध्यात्मिक क्रियाओं को मजबूत बनाती है।
शांभवी मुद्रा का नियमित अभ्यास से मानसिक शक्तिया काफी सक्रिय हो जाती है।
जिससे आप अपने मस्तिष्क क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल कर सकते है।
शांभवी मुद्रा करने के नुकसान – Shambhavi mudra side effect in Hindi
अगर Shambhavi mudra को ठीक से न किया जाये तो फायदे की जगह पर नुकसान भी हो सकता है। जिसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। शांभवी मुद्रा का सीधा असर हमारे मस्तिष्क और आखों के ऊपर पड़ता है। कभी कभी इस मुद्रा को करने से हमारे मस्तिष्क और आखों में तेज दर्द की समस्या भी होने लगती है।इसलिए इस मुद्रा का अभ्यास ध्यानपूर्वक और धीरे धीरे करना चाहिए।अगर जोर जबरजस्ती किया गया तो आँखों को भरी नुकसान पहुंच सकता है। साथ में मानिसक क्षति भी पहुंच सकती है। इसी लिए इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग्य योग शिक्षक के देख रेख में ही करनी चाहिए।
शांभवी मुद्रा की शक्ति – Shambhavi power in hindi
इस मुद्रा को करने से हमारी आज्ञा चक्र सक्रिय होती है। आज्ञा चक्र के सक्रिय होने से हमे अलौकिक शक्तियों का आभास होने लगता है। व्यक्ति में ताकत और बुद्धि का विकास होने लगता है। शांभवी मुद्रा को करने से उच्च चेतना का विकास होता है। इसे करने से हमारी अंदरुनी शक्ति सक्रिय हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मुद्रा के अभ्यास से भगवान शम्भु प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष दर्शन देते है।
👍 thanks for sharing this informative mudra
Thank You