Tulsi Pujan Diwas तुलसी पूजन दिवस, जानिए तुलसी का धार्मिक, औषधीय और वैज्ञानिक महत्व
Tulsi Pujan Diwas 2023: तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) सनातन धर्म में तुलसी पूजन सदियों से होता आ रहा है। आज भारतवासी पश्चिमी सभ्यता में इतने खोते जा रहे है कि बहुतो को यह भान भी नहीं है कि आज तुलसी पूजन दिवस भी होता है। पुनः तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) मानने की शुरुआत साल 2014 से 25 December को व्यापक तौर पे शुरू हुआ है। जहाँ पश्चिमी देश आज क्रिसमस डे सेलेब्रेट कर रहे है, तो वही सनातन धर्म में आज तुलसी पूजन बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है।
सनातन धर्म (हिंदू धर्म) में तुलसी का पूजा का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म में कोई भी अनुष्ठान, पूजा या शुभ कार्य बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु का अति प्रिय है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल किया जाता है।
आज पूरा भारत क्रिसमस डे के साथ साथ तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) को भी मना रहा है। तुलसी पूजन दिवस 2023 (Tulsi Pujan Diwas 2023) के मौके पर आइए जानते है तुलसी के पौधे का महत्व…
तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में कार्तिक महीने में तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी पूजा और दान से बढ़कर कोई दान नहीं हैं। हिन्दू धर्म में तुलसी को देवी तुलसी कहा जाता है। देवी तुलसी आठ नामों से प्रशिद्ध है उनका नाम इस प्रकार से है।
- वृंदावनी,
- वृंदा,
- विश्वपूजिता,
- विश्वपावनी,
- पुष्पसारा,
- नंदिनी,
- कृष्णजीवनी
- तुलसी
हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से कन्या दान के समान पुण्य प्राप्त होता है। जिनके घरों में तुलसी के पौधा की नियमित पूजा व दीपक जलाया जाता है वहां पर सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसा माना जाता है जिनके घरों में तुलसी का पौधा होता है वहाँ भगवान भगवान विष्णु की भक्ति का आनंद प्राप्त होता है और ब्रह्मा और लक्ष्मीजी सहित सभी देवताओं का वास होता हैं।
तुलसी जी के पास बैठकर जो भी स्रोत्र -मंत्र आदि का जप किया जाता है, उसका फल कई गुना प्राप्त होता है। सनातन धर्म में तुलसी के पत्ते और गंगाजल को बासी नहीं माना जाता है। दोनों किसी भी परिस्थिति में बासी और अपवित्र नहीं मानी जाती। तुलसी का जहाँ वास होता है वहां से नकारात्मक ऊर्जा दूर भाग जाती है।
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तुलसी के पौधे का औषधीय महत्व
तुलसी के पौधे में कई औषधीय गुण होते है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल (Antibacterial), एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में शरीर को सक्षम बनाते हैं। संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी बहुत कारगर उपाय है। तुलसी के पौधे जहाँ होते है वहां कि हवा शुद्ध हो जाती है। तुलसी के नियमित सेवन शरीर में ऊर्जा का प्रवाह को बढ़ाता है यह व्यक्ति दीर्घायु बनती है।
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वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे का महत्व
तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है जिनके घरों में तुलसी का पौधा होता है वहां पर हमेश सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है।तुलसी के पौधे को हमेसा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना शुभ और अच्छा माना गया है।
ऐसी भी मान्यता है कि नौकरी और कारोबार में तरक्की के लिए गुरुवार को तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर वांछित स्थान पर रखने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। अगर घर में तुलसी का पौधा हरा भरा है, तो यह सुख,समृद्धि और सौभाग्य का सूचक होता है। वहीं तुलसी के पौधा का अकारण ही सूख जाना भविष्य में आने वाली किसी विपत्ति या परेशानी की ओर संकेत करती है।
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तुलसी पूजन (Tulsi Pujan Divas 2023) हमेसा स्नान कर के ही करना चाहिए। लेकिन अगर व्यक्ति सुबह में स्नान किया है तो शाम के समय हाथ-पैर धोकर तुलसी पूजन कर सकता है। तुलसी पूजन के लिए तुलसी जी के पौधे के नीचे घी का दीप जलाएं। घी देशी गाय का हो तो सबसे उत्तम माना जाता है।
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Tulsi Pujan में इन बातों का रखें खास ख्याल
1. तुलसी पौधे के पास सुबह और शाम दोनों समय घी के दीपक जला सकते है।
2. तुलसी के पौधे पर नियमित तौर पर जल चढ़ाना चाहिए नहीं तो तुलसी का पौधा सूख जायेगा।
3. तुलसी जी का पौधा जिस गमले में लगा हो उसमे कोई कर पौधे का रोपण नहीं करना चाहिए।
4. तुलसी जी का पौधा में दूध अर्पित करने से पौधा पुनः हरा भरा होने लगता है।
5. शाम और रात में मां तुलसी के पत्ते नहीं तोडे जाते, इसलिये यह गलती नहीं करनी चाहिए।
6 – रविवार का दिन छोड़ तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ना चाहिए।
7. किसी भी ग्रहण के समय भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़नी चाहिए।
7. हमेशा तुलसी जी का पौधा घर के बाहर लगाना चाहिए।