दोस्तों आज का लेख अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि अश्विनी मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? तो चलिए शुरू करते है –
अश्विनी मुद्रा – Ashwini Mudra in Hindi
Ashwini (अश्विनी) का अर्थ है ‘घोड़ा’। इस मुद्रा का नाम अश्विनी मुद्रा इसलिए पड़ा है कि इसमें गुदा के संकुचन की क्रिया घोड़े द्वारा मल त्याग के तुरंत बाद गुदा द्वार से की जाने वाली क्रिया के समान होता है।
अश्विनी मुद्रा करने की विधि – Ashwini Mudra Steps in Hindi
इस अश्विनी मुद्रा करने की दो विधिया है। विधि 1 तीव्र संकुचन के साथ और विधि 2 अंतर्कुम्भक के साथ संकुचन। तो चलिए इन विधियों को विस्तार से जानते है।
अश्विनी मुद्रा करने की विधि 1 तीव्र संकुचन – Technique 1 Ashwini Mudra in Hindi
- सबसे ध्यान के किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाइये।
- अब आँखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- कुछ मिनटों के लिए स्वाभाविक श्वसन करते रहें।
- अब अपनी सजगता को गुदा मार्ग पर लाए।
- अपनी गुदा द्वार की मांसपेशियों को बिना अधिक जोर लागए कुछ क्षणों के लिए संकुचित करे।
- फिर कुछ क्षणों के लिए गुदा द्वार को शिथिल करे।
- यह संकुचन केवल गुदा क्षेत्र तक ही सिमित होना चाहिए।
- इसी अभ्यास को जितनी देर तक सम्भव हो दुहराते रहे।
- गुदा द्वार का संकुचन एवं प्रसारण सहजतापूर्वक एवं लयपूर्ण ढंग से होना चाहिए।
- अब इस संकुचन को अधिक तीब्र गति से करे।
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अश्विनी मुद्रा करने की विधि 2 अंतर्कुम्भक के साथ संकुचन – Technique 2 Ashwini Mudra in Hindi
- सबसे ध्यान के किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाइये।
- अब आँखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- कुछ मिनटों के लिए स्वाभाविक श्वसन करते रहें।
- अब अपनी सजगता को गुदा मार्ग पर लाए।
- अपनी गुदा द्वार की मांसपेशियों को बिना अधिक जोर लागए कुछ क्षणों के लिए संकुचित करे।
- गुदा द्वार की मांसपेशियों को संकुचित करते हुए साथ साथ धीमी और गहरी श्वास लें।
- अब संकुचन को बनाये रखते हुए अंतर्कुम्भक का अभ्यास करें।
- बिना किसी तनाव के संकुचन को जितना सम्भव हो, उतना दृढ़ बनायें।
- अब गुदा के संकुचन को शिथिल करते हुए श्वास को बाहर छोड़े।
- इस तरह अश्विनी मुद्रा का एक चक्र पुर हुआ।
- आराम से जितना चक्र हो सके उतना चक्रों का अभ्यास करें।
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अश्विनी मुद्रा करने की अवधि – Duration
Ashwini Mudra का अभ्यास काल की कोई सिमा नहीं है। प्रारम्भ में गुदा द्वार के पेशियों के ऊपर अधिक जोर नहीं डालनी चाहिए। जैसे जैसे गुदा की पेशियाँ अधिक मजबूत होती जाएँ और उन पर नियंत्रण प्राप्त होता जाये, वैसे वैसे अश्विनी मुद्रा की अवधि को बढ़ाते जाये।
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अश्विनी मुद्रा करते समय सजगता – Awareness
Ashwini Mudra को करते समय शारीरिक रूप से आपकी सजगता गुदा पर होना चाहिए। आध्यात्मिक रूप से मूलाधार चक्र पर होना चाहिए
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अश्विनी मुद्रा करने की सीमायें – Ashwini Mudra Contra-indications in Hindi
जिन व्यक्तियों को फिस्चुला (गुदा-नाल-व्रण) हो उन्हें अश्विनी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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अश्विनी मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Ashwini Mudra in Hindi
- यह मुद्रा गुदा की पेशियों को मजबूत बनता है।
- अश्विनी मुद्रा मलाशय सम्बन्धी दोषों जैसे, कब्ज, बवासीर (Hemorrhoid) और गर्भाशय या मलाशय भ्रंश को दूर करता है।
- इस मुद्रा का अभ्यास सिर के बल किये जाने वाले किसी आसान जैसे सर्वांगासन के साथ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
- अश्विनी मुद्रा शरीर से प्राण शक्ति के क्षय को रोकता है।
- यह मुद्रा प्राण शक्ति को आध्यात्मिक प्रगति के लिए ऊपर की ओर दिशान्तरित कर देता है।
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