Tadagi Mudra कैसे करते है? | तड़ागी मुद्रा के लाभ

दोस्तों आज का लेख तड़ागी मुद्रा (Tadagi Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि तड़ागी मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? तो चलिए शुरू करते है –

Tadagi Mudra

तड़ागी मुद्रा – Tadagi Mudra in Hindi

चलिए सबसे पहले यह जानते है कि इस मुद्रा का नाम तड़ागी मुद्रा (Tadagi Mudra) क्यों है ? तड़ाग का शाब्दिक अर्थ है तालाब, इस मुद्रा में उदर को तड़ाग (तालाब) की आकृति प्रदान की जाती है। इसीलिए इस मुद्रा को तड़ागी मुद्रा (Tadagi Mudra) कहा जाता है। जिस तरह तालाब में पानी होता है। उसी प्रकार से उदर में वायु से भरने की क्रिया को तड़ागी मुद्रा कहा जाता है।

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तड़ागी मुद्रा करने की विधि – Tadagi Mudra Steps in Hindi

  • सबसे पहले प्रारम्भिक स्थिति में बैठ जाइए। पंजों के बीच में थोड़ी दुरी रखें।
  • अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखते हुए हाथों को घुटने पर रखें।
  • अब आँखों को बंद कर पुरे शरीर को, विशेषकर उदर क्षेत्र को विश्राम की स्थिति में लाये।
  • पैर के अंगूठों को हाथ के अंगूठे और तर्जनी उँगलि से आगे की ओर झुक कर पकड़ ले।
  • अपने सिर को सामने की ओर सीधा रखें।
  • अब अपने उदर की पेशियों को पूरी तरह फैलाते हुए धीरे धीरे गहरी श्वास लें।
  • आराम से जितनी देर तक श्वास को भीतर रोक सकते है रोक कर रखें।
  • फेफड़ों पर किसी प्रकार का जोड़ ना डाले।
  • अब उदर को शिथिल करते हुए धीरे धीरे गहरी श्वास छोड़े।
  • पैर के अँगूठों को पकड़ कर रखें। और इसी तरह 10 बार श्वसन करें।
  • उसके बाद अँगूठों को छोड़ दे और प्रारम्भि स्थिति में वापस आ जायें।
  • यह तड़ागी मुद्रा का एक चक्र पूरा हुआ।

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तड़ागी मुद्रा करने की अवधि – Duration 

Tadagi-Mudra का अभ्यास का चक्र धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए। प्रारंभ में तड़ागी मुद्रा का 3 से 5 चक्र का अभ्यास करें।

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तड़ागी मुद्रा करते समय सजगता – Awareness 

Tadagi-Mudra को करते समय शरीरिक रूप से आपकी सजगता आपके उदर पर होनी चाहिए। आधयात्मिक रूप से मणिपुर चक्र पर होनी चाहिए।

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तड़ागी मुद्रा करने की सीमायें – Tadagi Mudra Contra-indications in Hindi

इस मुद्रा का अभ्यास गर्भवती महिलाओं को नहीं करनी चाहिए। माण्डुकी मुद्रा हर्निया या भ्रंश से पीड़ित व्यक्तियों को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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तड़ागी मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Tadagi Mudra in Hindi

  • यह मुद्रा मध्यपट और श्रोणि तल में संचित तनाव को दूर करती है।
  • Tadagi Mudra उदर के अंगों को शक्ति प्रदान करती है और इन क्षेत्रों में रक्त संचार को सुचारु बनाती है।
  • तड़ागी मुद्रा पाचन में सुधार करती है और पाचन तंत्र (Digestive System) के रोगों को दूर करती है।
  • यह मुद्रा आन्त्र क्षेत्र के तंत्रिका जालक का उद्दीपन और पोषण करती है।
  • अभ्यास के दौरान आगे की ओर झुकने और अमाशय को फैलाने से मध्यपट और श्रोणि तल में खिंचाव उत्पन्न होता है। इससे पुरे धड़ में एक प्रकार का दबाव उप्तन्न होता है। मणिपुर चक्र में उद्दीपन होता है। जो की ऊर्जा वितरण का केंद्र है।
  • तड़ागी मुद्रा शरीर में प्राण का स्तर को ऊँचा उठाता है।

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