दोस्तों आज का लेख महावेध मुद्रा (Maha Vedha Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि महावेध मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? इस मुद्रा को करते समय क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए। तो चलिए शुरू करते है –
महावेध मुद्रा – Maha Vedha Mudra in Hindi
बहुत से लोग महावेध मुद्रा को क्रिया योग का ‘ताड़न’ अभ्यास समझते है। लेकिन यह मुद्रा उससे थोड़ा भिन्न है। महावेध मुद्रा करने का उद्देश्य महामुद्रा और महा बन्ध से प्राप्त प्राण को सही मार्ग में प्रवाहित करना है। महावेध मुद्रा हठ योग का अभ्यास है। इसको करने से पहले व्यकित को पद्मासन में दक्षता प्राप्त कर लेनी चाहिए। क्योकि बिना पद्मासन में दक्षता प्राप्त हुए इसे सही ढंग से नहीं किया जा सकता है।
महावेध मुद्रा करने की विधि – Maha Vedha Mudra Steps in Hindi
- सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाइए।
- आखों को बन्द कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- अब हथेलियों को जांघों के बगल में जमीन पर रखें।
- हाथ की उंगलयों को सामने की ओर रखें या मुठी बांध ले।
- दोनों भुजाओं को सीधा और तनाव रहित रखे।
- अब नासिका छिद्रों से धीमी और गहरी श्वास अन्दर लें।
- अपने श्वास को अन्दर रोके और जालन्धर बन्ध के क्रिया वाले प्रकारान्तर का अभ्यास करें।
- भुजाओं को सीधा रखते हुए शरीर का पूरा भार हाथ पर डाले और शरीर को ऊपर उठायें।
- अपनी सजगता को मूलाधार चक्र पर रखते हुए अपने नितम्बों को तीन बार धीरे धीरे जमीन पर गिरायें और उठायें।
- इस क्रिया में मेरुदण्ड को सीधा रखें और जालन्धर बन्ध लगायें रखें।
- आपके जाँघों का पिछला भाग और नितम्ब एक साथ जमीन पर स्पर्श करना चाहिए।
- अब नितम्बों को जमीन पर टिकायें, फिर जालन्धर बन्ध खोले और धीरे धीरे श्वास को बाहर छोड़ दे।
- यह महावेध मुद्रा का एक चक्र पूरा हुआ।
- श्वास प्रश्वास को सामान्य होने दे, फिर अभ्यास को दोहरायें।
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महावेध मुद्रा करते समय श्वसन – Breathing in Mahavedha Mudra in Hindi
इस मुद्रा में जालन्धर बन्ध लगाने के पहले श्वास को अन्दर लें। नितम्बों को उठाते और निचे लाते समय श्वास को अंदर रोक कर रखें। अभ्यास के अंत में जब नितम्ब नीचे आ जाये और जालन्धर बन्ध हट जाये तब श्वास को बाहर छोड़े।
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महावेध मुद्रा करने की अवधि – Duration in Mahavedha Mudra in Hindi
प्रारम्भ में महावेध मुद्रा का 3 चक्र तक अभ्यास करना चाहिए। जब कुछ महीनों तक अभ्यास हो जाये तो इसे 11 चक्रों तक अधिकतम किया जा कसता है।
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महावेध मुद्रा करते समय सजगता – Awareness in Mahavedha Mudra in Hindi
इस मुद्रा को करते समय शारीरिक रूप से आपकी सजगता मेरुदण्ड को सीधा रखने और नितम्बों एवं जांघों को एक साथ जमीन को स्पर्श करने पर होना चाहिए। आध्यात्मिक रूप से मूलाधार चक्र पर होना चाहिए।
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महावेध मुद्रा करने का क्रम – Sequence in Maha Vedha Mudra in Hindi
महामुद्रा और महाभेद मुद्रा के बाद ही महावेध मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। क्योकिं महावेध मुद्रा महामुद्रा और महा बन्ध से प्राप्त प्राण को सही मार्ग में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है।
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महावेध मुद्रा करते समय सावधानियाँ – Precautions in Maha Vedha Mudra in Hindi
इस मुद्रा को करते समय नितम्बों को जमीन पर अधिक जोर से नहीं पटकना चाहिए।
इससे बचने के लिए नितम्बों के निचे मोटे कम्बल को रखा जा सकता है।
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महावेध मुद्रा करने की सीमायें – Maha Vedha Mudra Contra-indications in Hindi
यदि व्यकित के श्रोणि क्षेत्र के चारों ओर किसी प्रकार का सूजन और संक्रमण हो तो महावेध मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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महावेध मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Maha Vedha Mudra in Hindi
- यह मुद्रा कुंडलिनी जागरण के लिए एक शक्तिशाली अभ्यास है।
- महावेध मुद्रा मन को अन्तर्मुखी बनाने तथा अतीन्द्रिय क्षमताओं के जागरण में सहायक है।
- इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) सक्रिय होती है।
- महावेध मुद्रा अन्तः स्रावी प्रणाली को उद्दीतप करता है।
- इस मुद्रा को करने से पीयूष ग्रंथि नियंत्रित रहित है और हार्मोन का नियमित स्राव होता है।
- महावेध मुद्रा करने से वृद्धावस्था के लक्षण कम होते है।