दोस्तों आज का लेख षण्मुखी मुद्रा (Shanmukhi Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि षण्मुखी मुद्रा क्रिया योग करने की विधि एवं लाभ क्या है? इसको करते समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए? Shanmukhi Mudra को करते समय आपका श्वसन कैसा होना चाहिए। तो चलिए शुरू करते है –
षण्मुखी मुद्रा – Shanmukhi Mudra in Hindi
Shanmukhi Mudra को बद्धयोनि आसान के नाम से भी जाना जाता है। इस मुद्रा को देवी मुद्रा, पराड्मुखि मुद्रा और समभाव मुद्रा के रूप में भी जाता है। षण्मुखी शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है। पहला है ‘षण’ जिसका अर्थ होता है ‘सात’ और दूसरा है मुखी जिसका अर्थ होता है द्वार या ‘मुँह’। षण्मुखी मुद्रा में बाह्य इन्द्रिय-बोध के सात द्वारों दो कान, दो नेत्र, दो नासिकाछिद्र एवं मुँह को बंद कर सजगता को अंतर्मुखी बनाया जाता है।
षण्मुखी मुद्रा करने की विधि – Shanmukhi Mudra Steps in Hindi
- सबसे पहले ध्यान के किसी आसन जैसे- सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में आराम से बैठ जाये।
- सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन में इसे करें से ज्यादा लाभ होता है।
- अब मूलाधार क्षेत्र के नीचे एक छोटा तकिया रख ले जिससे मूलाधार क्षेत्र पर दबाव बना रहे।
- अपने सिर और मेरुदण्ड को सीधा रखे। और दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
- आँखों को बन्द कर गहरी श्वसन करे और पुरे शरीर को शिथिल करें।
- अब हाथों को उठाकर अंगूठों से कानों को, तर्जनी से आँखों को, मध्यमा से नासिकाछिद्रों को और अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुँह और होठों के ऊपर और नीचे को बंद कर ले।
- अब मध्यमा उँगलिओं का दबाब हटा कर नासिका छिद्रों को खोले।
- नासिकाछिद्रों से पूर्ण यौगिक श्वसन करते हुए धीरे धीरे गहरी श्वसन करे।
- श्वास को लेने के बाद मध्यमा उँगलियों से फिर नासिकाछिद्रों को बंद कर ले।
- आराम से जितने देर तक सम्भव हो श्वास को भीतर रोक कर रखें।
- अब बिंदु आज्ञा या अनाहत चक्रों के क्षेत्र में कोई ध्वनि प्रकट हो तो उसे सुनने का प्रयास करें।
- जब लगे अब श्वास छोड़ना है। तो मध्यमा उँगलियों का दबाव हटा कर धीरे धीरे श्वास को छोड़े।
- इस तरह षण्मुखी मुद्रा का एक चक्र पूरा हुआ।
- अभ्यास को दोहराने के लिए इसी पोजीशन में श्वास अंदर ले। और पूरी प्रक्रिया को दोहरायें।
- अब अभ्यास को समाप्त करने के लिए, आँखों को बंद रखते हुए हाथो को घुटनों पर ले लाए।
- बाह्य ध्वनियों और भौतिक शरीर के प्रति सजग होकर धीरे धीरे मन को बहिर्मुखी करे।
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षण्मुखी मुद्रा के दौरन श्वसन – Breathing
इस अभ्यास में श्वास को भीतर रोका जाता है। षण्मुखी मुद्रा को करने से पहले यदि नाड़ीशोधन प्राणयाम में दक्षता प्राप्त हो तो यह अभ्यास आसान हो जाता है।
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षण्मुखी मुद्रा करने की अवधि – Duration
Shanmukhi Mudra का अभ्यास प्रारम्भ में 5 से 10 मिनट तक करें। जैसे जैसे अभ्यास में निपुणता होती जाये। इसे 30 मिनटों तक बढ़ायें। षण्मुखी मुद्रा में समय की लम्बाई को धीरे धीरे बढ़ाते हुए श्वास को जितनी देर तक अंदर रोक सकते है रोके।
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षण्मुखी मुद्रा में सजगता – Awareness
इस मुद्रा को करते समय आपकी सजगता सूक्ष्म ध्वनियों के प्रति होनी चाहिए। आपकी एकाग्रता बिंदु ,आज्ञा चक्र या अनाहत चक्र पर होना चाहिए।
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षण्मुखी मुद्रा अभ्यास का समय – Time of Practice
Shanmukhi Mudra का अभ्यास प्रातः काल या देर रात में करना चाहिए। यह षण्मुखी मुद्रा अभ्यास का सर्वोत्तम समय होता है। क्योंकि इस समय पर कोलाहल कम से कम रहता है। ऐसे समय पर इसका अभ्यास करने से अतीन्द्रिय संवेदना जाग्रत होती है।
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षण्मुखी मुद्रा की सीमायें – Contra-indications in Shanmukhi Mudra in Hindi
इस मुद्रा का अभ्यास मानसिक अवसाद (Psychotic Depression) से पीड़ित व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।
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षण्मुखी मुद्रा के लाभ – Shanmukhi Mudra Benefits in Hindi
- यह मुद्रा मुँह की पेशियों और तंत्रिकाओं को उत्प्रेरित एवं विश्रांत करती है।
- षण्मुखी मुद्रा का अभ्यास आँख, नाक एवं गले के संक्रमण की चिकिस्ता में सहायक होता है।
- यह चक्कर आने वाली बिमारियों को भी दूर करता है।
- षण्मुखी मुद्रा बाह्य एवं आंतरिक सजगता को संतुलित करता है।
- इसका अभ्यास प्रत्याहार की स्थिति को प्राप्त करने में मदद करता है।
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