दोस्तों जब बुखार किसी भी वायरस की वजह से होता है तो उसे वायरल फीवर (Viral Fever) कहते है। यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाला बुखार है। जब मौसम बदलता है तब तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है। मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार हो जाता है। आज के इस लेख में हम जानेगे कि वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj) क्या है। वायरल बुखार होने के कारण क्या है ? वायरल फीवर होने के लक्षण क्या है आदि। तो चलिए शुरू करते है।
वायरल फीवर क्या है (What is Viral Fever in Hindi)
Viral Fever संक्रमण से होने वाली बीमारी है। Ayurved के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष वात, पित और कफ प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। वायरल फीवर में कफ दोष अपना प्रभाव ज्यादा दिखाता है। इसमें जठराग्नि को मंद पड़ जाती है और भूख मर जाती है। वायरल बुखार (Viral Fever) हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक होने लगता हैं।
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वायरल बुखार होने के कारण (Causes of Viral Fever in Hindi)
आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण होता है। इससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है।
इसके अलावा और भी कारण होते है जिनके कारण Viral Fever आता है।
- दूषित जल एवं भोजन का सेवन
- दूषित वायु
- रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी
- वायरल बुखार हुए रोगी के सम्पर्क में आना
वायरल फीवर होने के लक्षण (Symptoms of Viral Fever in Hindi)
Viral Fever के लक्षण (viral fever symptoms in hindi) शुरू में सामान्य बुखार की तरह ही होते है। लेकिन इसको नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से समस्या गंभीर हो सकती है। अगर सही समय पर इसका इलाज ना किया जाये तो वायरस के पनपने की संभावना रहती है। वायरल फीवर हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, Viral Fever बरसात के मौसम में ज्यादा होता है। वैसे तो यह किसी भी उम्र के लोगो को सकता है। लेकिन बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है। क्योंकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती।
Viral Fever में बच्चों में थकावट, खाँसी, संक्रामक जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण (viral fever symptoms in hindi) देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन (Dehydration) का भी खतरा हो सकता है।इसके अलावा और भी कुछ आम लक्षण होते हैं जो इस प्रकार से है –
- भूख न लगना
- ठंड लगना
- सरदर्द
- चिड़चिड़ापन
- मांसपेशी में दर्द
- कंपकंपी
- पसीना आना
- दुर्बलता
- अत्यधिक थकान महसूस होना
- शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ना
- खांसी होना
- जोड़ो में दर्द की परेशानी शुरू होना
- दस्त होना
- त्वचा पर रैशेज होना
- सर्दी-जुकाम होना
- गले में दर्द की परेशानी होना
- बुखार होने पर आंखें लाल होना और जलन होना
- उल्टी और दस्त दोनों का साथ-साथ होना
- आँखों में लाली तथा जलन रहना।
आमतौर पर वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है। viral fever के शुरूआती दिनों में गले में दर्द, थकान, खाँसी जैसी समस्या होती (viral fever ke lakshan) है।
वायरल फीवर कितने दिन रहता है (Duration of Viral Fever in Hindi)
आमतौर पर Viral Fever 5-6 दिनों तक रहता है। अगर इसका इलाज के समय पर ना हो तो यह 12-15 दिनों (viral fever kitne din rehta hai) तक भी रह सकता है।
वायरल फीवर से बचाव के उपाय (Prevention for Viral Fever in Hindi)
अभी तक हमने वायरल फीवर होने के कारण और लक्षणों के बारे में जाना। लेकिन अब वायरल फीवर से बचाव के उपाय के बारे में जानेंगे। जो इस प्रकार है :
- उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए।
- दूषित पानी एवं भोजन से बचें।
- उबाल हुआ थोड़ा गुनगुना पानी ही पिएँ।
- वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में ना जाए।
- नारियल पानी और खट्टे फल का जूस पिए।
- मौसम में बदलाव के साथ उचित आहार-विहार का पालन करें।
वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj)
Viral Fever को ठीक करने के लिए आयुर्वेदीय चिकित्सा सबसे श्रेष्ठ है। आयुर्वेद में अनेको औषधियां है जिनसे वात, पित और कफ तीनो दोसो को संतुलित कर सकते है। Viral Fever में एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन से बचना चाहिए।
वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज अदरक से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Ginger se)
अदरक का सेवन से वायरल बुखार में होने वाला दर्द कम (Ginger : Home Remedy for Viral Fever in Hindi) होता है।
अदरक के पेस्ट में थोड़ा शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में सेवन करने से लाभ मिलता है।
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वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज मेथी से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Fenugreek se)
एक चम्मच मेथी के दानों को एक ग्लास पानी में डालकर रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह इस पानी को छानकर रख लें। दिन में इस पानी का हर दो घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा सेवन करने से वायरल बुखार में लाभ होता है।
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वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज दालचीनी से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Cinnamon se)
एक कप पानी में एक चम्मच दालचीनी पाउडर और दो इलायची डाल लें और इसको पाँच मिनट तक उबाल लें। इसे छानकर गरम ही धीरे धीरे चाय की तरह पिने से वायरल बुखार में लाभ होता है। दालचीनी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करता है। इसके सेवन से खाँसी-संक्रामक जुकाम एवं गले में दर्द जैसे समस्याओं में आराम मिलता है।
वायरल बुखार का इलाज धनिया से (Viral Fever treatment with Coriander Seed in Hindi)
धनिया के बीज में वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाने वाले गुण होते है।वायरल फीवर को ठीक करने में धनिया का वाष्पशील तेल काफी प्रभावी होता है।
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वायरल बुखार में किशमिश फायदेमंद (Raisin: Home Remedies for Viral fever treatment in Hindi)
आधे घंटे तक एक कप पानी में दो चम्मच किशकिश डालें और फूलने दें। फिर इसे इसी पानी में पीस लें और छान लें और इसमें आधे नींबू का रस मिलाकर पी लें।
इस तरह करने से Viral fever में लाभ मिलता है।
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वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज तुलसी से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Tulsi se)
5-10 तुलसी के पत्ते और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में 5 मिनट तक उबाले। हर दो घंटे के अंतराल में आधा कप की मात्रा में इसको पिएँ।
इससे वायरल बुखार में तुरंत आराम मिलता है।
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वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज गिलोय से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Giloy se)
गिलोय को पानी में उबाल कर उस पानी को गर्म ही पिने से वायरल फीवर में लाभ मिलता है। गिलोय का ताजा स्वरस पिने से भी Viral Fever में फायदा होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है तथा बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम व बुखार (giloy for viral fever) से बचाता है।
लौंग पाउडर वायरल फीवर से राहत दिलाने में सहायक (Clove powder Home remedies for Viral Fever Treatment in Hindi)
आधा छोटा चम्मच लौंग के पाउडर में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें से वायरल फीवर में लाभ मिलता है।
वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज काली मिर्च से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Black pepper se)
एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और एक चम्मच सौंठ के पाउडर को एक कप पानी और थोड़ा सा गुड़ डालकर 5 से 10 मिनट तक उबाल लें। जब यह पानी उबलने के बाद आधा कप रह जाए तो इसे ठंडा कर के पिएँ।
वायरल फीवर में फायदा होता है।
वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज लहसुन से (Garlic Oil Benefit to Get Relief from the Symptoms of Viral Fever)
लहसुन को सरसो के तेल में पकाकर उस तेल का वायरल फीवर के दौरान बदन दर्द में मालिश करने से राहत मिलता है।
पीपल के पत्ते के चूर्ण वायरल फीवर में फायदेमंद (Peepal Mixture Help to Treat Viral Fever)
एक चम्मच काकड़ासिंगी चूर्ण, एक चम्मच पीपल के पत्ते का चूर्ण, एक चम्मच शहद।
आपस में मिलाकर दिन में दो बार बच्चों को खिलाने से वायरल फीवर में लाभ मिलता है।
वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज हल्दी और सोंठ पाउडर से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Turmeric aur Dry Ginger Mixture se)
सामान मात्रा में हल्दी और सोंठ के पाउडर का सेवन करने से Viral Fever में लाभ मिलता है।
हल्दी और सोंठ में इम्यूनिटी बढ़ाने वाला गुण होता है। जिस कारण इसका का सेवन वायरल फीवर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज नींबू और शहद से (Viral Fever Ka Ayurvedic ilaj Lemon aur Honey se)
वायरल बुखार होने पर एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
दोस्तों आयुर्वेद के अनुसार ऊपर बातये के तरिके से आप Viral Fever में आराम पा सकते है।
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धन्यबाद !