दोस्तों आज का लेख पाशिनी मुद्रा (Pashinee Mudra) के बारे में है। इस लेख में आप जान पायेंगे कि पाशिनी मुद्रा करने की विधि एवं लाभ क्या है? तो चलिए शुरू करते है –
पाशिनी मुद्रा – Pashinee Mudra in Hindi
इस मुद्रा का नाम पाशिनी मुद्रा इस लिए पड़ा है कि इसमें साधक फंदे की तरह बंध जाता है। पाश का शाब्दिक अर्थ होता है फंदा। और पाशिनी का शाब्दिक अर्थ होता है फंदे में बांधने वाली। इसे लिए इस मुद्रा को Pashini Mudra कहा जाता है।
और पढ़े: Unmani Mudra कैसे करते है?
पाशिनी मुद्रा करने की विधि – Pashinee Mudra Steps in Hindi
- इसको करने के लिए सबसे पहले आप हलासन में आ जाइये।
- दोनों पंजों के बीच लगभग आधे मीटर की दुरी रखें।
- अब पैरों को घुटनों से मोड़े और जांघों को वक्ष के इतना समीप लायें की घटनें कानों, कन्धों और जमीन का स्पर्श करने लगे।
- अपनी भुजाओं को पैरों के चारों तरफ मजबूती से लपेट ले।
- अब इस स्थिति में आखों को बंद कर पुरे शरीर को शिथिल करें।
- धीरे धीरे गहरी श्वसन करते रहे।
- आराम से जबतक सम्भव हो सके इस स्थिति में बने रहे।
- पाशिनी मुद्रा से वापस आते वक्त पहले धीरे धीरे भुजाओं की पकड़ ढीली करे और हलासन में लौट आये।
- अब पैरों को निचे कर शवासन में विश्राम करें।
और पढ़े: Bhoochari Mudra कैसे करते है?
पाशिनी मुद्रा करते समय सजगता – Awareness in Pashini Mudra in Hindi
इस मुद्रा को करते समय आपकी सजगता शारीरिक रूप से गले के खिंचाव पर होना चाहिए। आध्यात्मिक रूप से मूलाधार या विशुद्धि चक्र पर होना चाहिए।
और पढ़े: Shanmukhi Mudra कैसे करते है?
पाशिनी मुद्रा करने का क्रम – Pashini Mudra Sequence in Hindi
इस मुद्रा को करने के बाद हमेशा पीछे की ओर मुड़कर किये जाने वाले आसन को करना चाहिए। ताकि खिंचाव संतुलित हो सके।
और पढ़े: Khechari mudra कैसे करते है?
पाशिनी मुद्रा करने की सीमायें – Pashinee Mudra Contra-indications in Hindi
- सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क से ग्रसित व्यक्ति को पाशिनी मुद्रा अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland), यकृत या प्लीहा, उच्च रक्तचाप या अन्य हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति को इसे नहीं करना चाहिए।
- नेत्रों में दुर्बल रक्त वाहिकायें, शिरावरोध या अशुद्ध रक्त दोष से ग्रस्त व्यकित को भी पाशिनी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- मासिक धर्म और गर्भावस्था के अंतिम दिनों में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- जिन्हे मेरुदण्ड से संबन्धी कोई भी समस्या हो उन्हें इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
और पढ़े: Bhairava Mudra कैसे करते है?
Buy Yoga Accessories Online
पाशिनी मुद्रा के लाभ – Health Benefits of Pashinee Mudra in Hindi
- यह मुद्रा मेरुदण्ड और पीठ के पिशियों में खिंचाव उत्पन्न करती है।
- पाशिनी मुद्रा मेरूदण्ड के अन्दर और उसके चारों ओर की सभी नाड़ियों को क्रियाशील बनाती है।
- यह मुद्रा तंत्रिका तन्त्र में संतुलन लाती है और प्रत्याहार की स्थिति उत्पन्न करती है।
- पाशिनी मुद्रा उदर के सभी अंगों की मालिश करती है।
और पढ़े: Vipareeta Karani Mudra कैसे करते है?