दोस्तों आज के इस लेख में हम एक चमत्कारी डाइट प्लान “सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Siridhanya Millet Diet Plan in Hindi)” के बारे में जानने वाले है। इस लेख में आप मिलेट डाइट प्लान के द्वारा विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य समस्या और उनके उपचार के बारे में जानेगे।
अगर आप मेसे कुछ लोग नहीं जानते है कि Millet मिलेट क्या होता है? तो आप Siridhanya Millets in Hindi आर्टिकल को पढ़ सकते है। दोस्तों मिलेट डाइट प्लान डॉ खादर वल्ली द्वारा पहले से ऑनलाइन उपलब्ध है। लेकिन इसे पुनः शरल तरिके से आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। ताकि आप इसका पूरा फायदा उठा सके। तो चलिए डाइट प्लान को शुरू करते है
Credit:- Millet Diet Plan में प्रदान जानकारी Dr. Khadar Valli ने Design किया है. और इसे हम मुनष्य की सहायता और स्वास्थ्य लाभ हेतु, सरल भाषा में पुनः दे रहे है.
चेतावनी:- यहाँ प्रदान की गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। यहाँ पे जो जानकारी दी जा रही है वह Dr. Khadar Valli द्वारा बताये गए डाइट प्लान के अनुसार दी जा रही है तथा इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। कृपया इस Millet Diet Plan को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। यह आहार पद्धति बहुत शक्तिशाली है। अतः एक चिकित्सा विशेषज्ञ की देखरेख में इस आहार को लेने की सलाह दी जाती है।
विशेष: जब कोई भी स्वास्थ्य समस्या बढ़ जाये, तो किसी भी प्रोटोकॉल को शुरू करने के पहले 6 से 9 सप्ताह के लिए अम्बाली के रूप में सिरिधान्य का सेवन करनाअधिक प्रभावी होता है।
Table of Contents
डायालसिस के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Dialysis
Dialysis के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का डायालसिस किस समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हारशिंगार या पारिजात
- धनिया पत्ता
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- पुनर्नवा
- कंघी के पत्ते
डायालसिस के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
डायालसिस के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
डायालसिस के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Dialysis)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का डायालसिस की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1दिन
थायरॉयड के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Thyroid
Thyroid के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का थायरॉयड की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- ईमली के कोमल पत्ते
- पान का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- लाल अंबरी/पटवा के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
थायरॉयड के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
थायरॉयड के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
थायरॉयड में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
थायरॉयड के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Thyroid)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का थायरॉयड की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1दिन
और पढ़े: Siridhanya Millets in Hindi
रक्तचाप (B.P) के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For B.P.
रक्तचाप (B.P) के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का रक्तचाप (B.P) की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते
- बेल के पत्ते
- धनियाँ के पत्ते
- सर्पगंधा
- नागफनी
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
रक्तचाप (B.P) के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
रक्तचाप (B.P) के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
रक्तचाप (B.P) में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
रक्तचाप (B.P) के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For B.P.)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का रक्तचाप (B.P) की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
और पढ़े: Barnyard Millet Benefits in Hindi
मधुमेह के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Diabetes
Diabetes के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का मधुमेह की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनियाँ के पत्ते
- जामुन के पत्ते
- कुंदरू के पत्ते
- पुदीना के पत्ते
- मोरींगा/सहजन के पत्ते
- मेथी के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
मधुमेह के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
मधुमेह के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
मधुमेह के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Diabetes)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का मधुमेह की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
विशेष: जो लोग स्वस्थ है वे सकारात्मक अनाज के साथ-साथ चना 1-दिन, जोवर 1- दिन ले सकत है।
अंकुरित फलियाँ : जैसे हरे चने, बंगाल चना,लोबिया, मूंगफली को प्रति सप्ताह प्रत्येक किस्म को लेना चाहिए।
स्प्राउट्स: स्प्राउट्स को खाने से पहले 4-7minute के लिए स्टीम किया जाना चाहिए फिर तड़का किया जाना चाहिए।
बस दो चम्मच एक प्रकार के स्प्राउट्स को सप्ताह में एक बार मेथी / मेथी स्प्राउट्स के एक चम्मच के साथ लेना चाहिए। इसका मतलब है कि हर हफ्ते अंकुरित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्प्राउट्स बदलते रहेंगे, लेकिन मेथी / मेथी स्प्राउट्स, सब में होना जरूरी होते हैं।
दमा के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Asthma
Asthma के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का दमा की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पान का पत्ता
- अदरक
- सिताबा
- नीम
- करी पत्ता
- दूब घास
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
- माज्तरी/मास्तारी
दमा के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
दमा के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
दमा के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Asthma)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का दमा की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
और पढ़े: Proso Millet Benefits in Hindi
गैस्ट्रिक के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Gastric
Gastric के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का गैस्ट्रिक की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पान का पत्ता
- मेथी का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- जीरा
- सनाय के पत्ते
- कंघी के पत्ते
गैस्ट्रिक के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
गैस्ट्रिक के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
गैस्ट्रिक के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Gastric)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का गैस्ट्रिक की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
पार्किनसन्स के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Parkinsons
Parkinsons के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का पार्किनसन्स की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- अमरुद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- पीपल के पत्ते
- सिताबा
- नीम का पत्ता
- दालचीनी
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
पार्किनसन्स के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
पार्किनसन्स के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
पार्किनसन्स में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
पार्किनसन्स के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Parkinsons)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का पार्किनसन्स की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
और पढ़े: Kodo Millet Benefits in Hindi
गुर्दे की पथरी के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Kidney Stone
Kidney Stone गुर्दे की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का गुर्दे की पथरी की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनिया पत्ता
- पुननर्वा
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- कलिंग/करंज के पत्ते
- कंघी के पत्ते
गुर्दे की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
गुर्दे की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
गुर्दे की पथरी में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
गुर्दे की पथरी के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Kidney Stone)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का गुर्दे की पथरी की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
आाँखों की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Eye Problem
Eye Problem आाँखों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का आाँखों की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सावा या शोआ
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- पुदीना
- करी पत्ता
- सिताबा
आाँखों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
आाँखों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
आाँखों की समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम 1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को 9 सप्ताह तक दोहराएं।
- गाजर
- गााँठ खोल
- मूली (नींबू का रस, ताड़ के गुड़ के साथ या नमक / काली मिर्च पाउडर के साथ ले सकते हैं)
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
आाँखों की समस्या में पादप आधरित दूध का सेवन
निचे बताये गए पादप आधारित दूध का साप्ताहिक रूप से सेवन करे-
- नारियल का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
- तिल का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
- बाजरा का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
रोजाना सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नारंगी रंग का सूर्य को देखें।
आाँखों की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Eye Problem)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का आाँखों की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
और पढ़े: Little Millet Benefits in Hindi
नसों की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Nervous Problems
Nervous Problems नसों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का नसों की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
नसों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
नसों की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
नसों की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
नसों की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Nervous Problems)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का नसों की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
और पढ़े: Foxtail Millet Benefits in Hindi
मोटापा के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Obesity
मोटापा के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का मोटापा कि समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पीपल
- पान का पत्ता
- जीरा
- दूब घास
- खजूर या सेंधी का पत्ते
- हल्दी
मोटापा के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
मोटापा के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
मोटापा के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Obesity)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का मोटापा की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
Tachy Cardia की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Tachy Cardia
Tachy Cardia की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का Tachy Cardia की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनियाँ पत्ता
- तुलसी के पत्ते
- पान का पत्ता
- पुदीना
- गिलोय के पत्ते
- कँघी के पत्ते
Tachy Cardia की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
Tachy Cardia की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
Tachy Cardia की समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम 1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को 9 सप्ताह तक दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
Tachy Cardia की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Tachy Cardia)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का Tachy Cardia की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
और पढ़े: Keto Diet in Hindi
अल्बुमिन यूरिया के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Albuminuria
Albuminuria अल्बुमिन यूरिया के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का अल्बुमिन यूरिया की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हारशिंगार या पारिजात
- धनिया पत्ता
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- पुनर्नवा
- कंघी के पत्ते
अल्बुमिन यूरिया के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
अल्बुमिन यूरिया के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
अल्बुमिन यूरिया के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Albuminuria)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का अल्बुमिन यूरिया की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
और पढ़े: NICE Protocol in Hindi
P.C.O.D के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For P.C.O.D
P.C.O.D के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का P.C.O.D की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- ईमली के कोमल पत्ते
- पान का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- लाल अंबरी/पटवा के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
P.C.O.D के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
P.C.O.D के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
P.C.O.D में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
P.C.O.D के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For P.C.O.D)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का P.C.O.D की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
और पढ़े: Three-Step Flu Diet in Hindi
ह्रदय संबंधित समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Heart Related Problem
Heart Related Problem ह्रदय संबंधित समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का ह्रदय संबंधित समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते
- बेल के पत्ते
- धनियाँ के पत्ते
- सर्पगंधा
- नागफनी
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
ह्रदय संबंधित समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
ह्रदय संबंधित समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
ह्रदय संबंधित समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
ह्रदय संबंधित समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Heart Related Problem)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का ह्रदय संबंधित समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
वजन बढ़ाने के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Underweight
Underweight वजन बढ़ाने के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का Underweight की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सरसो के बीज या साग
- मेथी के दाने या पत्ते
- जीरा
- केले का तना
- कंघी के पत्ते
वजन बढ़ाने के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
वजन बढ़ाने के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
Underweight में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
वजन बढ़ाने के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Underweight)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का Underweight की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
विशेष: जो लोग स्वस्थ है वे सकारात्मक अनाज के साथ-साथ चना 1-दिन, जोवर 1- दिन ले सकत है।
अंकुरित फलियाँ : जैसे हरे चने, बंगाल चना,लोबिया, मूंगफली को प्रति सप्ताह प्रत्येक किस्म को लेना चाहिए।
स्प्राउट्स: स्प्राउट्स को खाने से पहले 4-7minute के लिए स्टीम किया जाना चाहिए फिर तड़का किया जाना चाहिए।
बस दो चम्मच एक प्रकार के स्प्राउट्स को सप्ताह में एक बार मेथी / मेथी स्प्राउट्स के एक चम्मच के साथ लेना चाहिए। इसका मतलब है कि हर हफ्ते अंकुरित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्प्राउट्स बदलते रहेंगे, लेकिन मेथी / मेथी स्प्राउट्स, सब में होना जरूरी होते हैं।
T.B. के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For T.B.
टी. बी.के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का T.B. की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हल्दी
- अदरक
- सिताबा
- नीम
- करी पत्ता
- दूब घास
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
- माज्तरी/मास्तारी
T.B. के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
T.B. के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
T.B. के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For T.B.)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का T.B. की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
और पढ़े: DIP Diet Plan in Hindi
एसिडिटी के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Acidity
Acidity एसिडिटी के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का एसिडिटी की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पान का पत्ता
- मेथी का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- जीरा
- सनाय के पत्ते
- कंघी के पत्ते
एसिडिटी के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
एसिडिटी के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
एसिडिटी के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Acidity)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का एसिडिटी की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
Alzheimer’s के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Alzheimer’s
Alzheimer’s के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का Alzheimer’s की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- अमरुद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- पीपल के पत्ते
- सिताबा
- नीम का पत्ता
- दालचीनी
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
Alzheimer’s के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
Alzheimer’s के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
Alzheimer’s में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
Alzheimer’s के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Alzheimer’s)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का Alzheimer’s की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
पित्ताशय की पथरी के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Gallstones
Gallstones पित्ताशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का पित्ताशय की पथरी की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनिया पत्ता
- पुननर्वा
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- कलिंग/करंज के पत्ते
- कंघी के पत्ते
पित्ताशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
पित्ताशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
पित्ताशय की पथरी में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
पित्ताशय की पथरी के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Gallstones)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का पित्ताशय की पथरी की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) – 2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) – 2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) – 2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) – 2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
ग्लूकोमा की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Glaucoma
Glaucoma ग्लूकोमा की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का ग्लूकोमा की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सावा या शोआ
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- पुदीना
- करी पत्ता
- पान के पत्ता
- सिताबा
ग्लूकोमा की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
ग्लूकोमा की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
ग्लूकोमा की समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम 1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को 9 सप्ताह तक दोहराएं।
- गाजर
- गााँठ खोल
- मूली (नींबू का रस, ताड़ के गुड़ के साथ या नमक / काली मिर्च पाउडर के साथ ले सकते हैं)
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
ग्लूकोमा की समस्या में पादप आधरित दूध का सेवन
निचे बताये गए पादप आधारित दूध का साप्ताहिक रूप से सेवन करे-
- नारियल का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
- तिल का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
- बाजरा का दूध – साप्ताहिक 2 दिन
रोजाना सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नारंगी रंग का सूर्य को देखें।
ग्लूकोमा की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Glaucoma)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का ग्लूकोमा की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
सिर का चक्कर की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Vertigo
Vertigo सिर का चक्कर की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का सिर का चक्कर की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
सिर का चक्कर की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
सिर का चक्कर की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
सिर का चक्कर की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
सिर का चक्कर की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Vertigo)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का सिर का चक्कर की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
हर्निया के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Hernia
Hernia हर्निया के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का हर्निया कि समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पीपल
- पान का पत्ता
- जीरा
- दूब घास
- खजूर या सेंधी का पत्ते
- हल्दी
हर्निया के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
हर्निया के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
हर्निया के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Hernia)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का हर्निया की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
हार्ट अटैक के बाद के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Heart Attack
Heart Attack हार्ट अटैक के बाद के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का हार्ट अटैक की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनियाँ पत्ता
- तुलसी के पत्ते
- पान का पत्ता
- पुदीना
- गिलोय के पत्ते
- कँघी के पत्ते
हार्ट अटैक की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
हार्ट अटैक की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
हार्ट अटैक की समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम 1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को 9 सप्ताह तक दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
हार्ट अटैक की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Heart Attack)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का हार्ट अटैक की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
गाउट के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan Gout
Gout गाउट के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का गाउट की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हारशिंगार या पारिजात
- धनिया पत्ता
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- पुनर्नवा
- कंघी के पत्ते
गाउट के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
गाउट के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
गाउट के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Gout)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का गाउट की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
हार्मोनल असंतुलन के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Hormonal Imbalance
Hormonal Imbalance हार्मोनल असंतुलन के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का हार्मोनल असंतुलन की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- ईमली के कोमल पत्ते
- पान का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- लाल अंबरी/पटवा के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
हार्मोनल असंतुलन के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
हार्मोनल असंतुलन के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
हार्मोनल असंतुलन में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
हार्मोनल असंतुलन के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Hormonal Imbalance)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का हार्मोनल असंतुलन की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
कोलेस्ट्रॉल के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Cholesterol
Cholesterol कोलेस्ट्रॉल के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते
- बेल के पत्ते
- धनियाँ के पत्ते
- सर्पगंधा
- नागफनी
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
कोलेस्ट्रॉल के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
कोलेस्ट्रॉल के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
कोलेस्ट्रॉल में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Cholesterol)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
न्यूमोनिया के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Pneumoniae
Pneumoniae न्यूमोनिया के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का न्यूमोनिया की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हल्दी
- अदरक
- सिताबा
- नीम
- करी पत्ता
- दूब घास
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
- माज्तरी/मास्तारी
न्यूमोनिया के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
न्यूमोनिया के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
न्यूमोनिया के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Pneumoniae)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का न्यूमोनिया की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
GERD के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For GERD
GERD के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का GERD की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- पान का पत्ता
- मेथी का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- जीरा
- सनाय के पत्ते
- कंघी के पत्ते
GERD के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
GERD के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
GERD के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For GERD)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का GERD की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
फिट्स के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Fits
Fits फिट्स के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का फिट्स की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- अमरुद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- पीपल के पत्ते
- सिताबा
- नीम का पत्ता
- दालचीनी
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
फिट्स के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
फिट्स के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
फिट्स में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
फिट्स के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Fits)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का फिट्स की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
अग्नाशय की पथरी के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Pancreas Stones
Pancreas Stones अग्नाशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का अग्नाशय की पथरी की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनिया पत्ता
- पुननर्वा
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- कलिंग/करंज के पत्ते
- कंघी के पत्ते
अग्नाशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
अग्नाशय की पथरी के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
अग्नाशय की पथरी में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
अग्नाशय की पथरी के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Pancreas Stones)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का अग्नाशय की पथरी की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
माइग्रेन की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Migraine
Migraine माइग्रेन की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का माइग्रेन की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
माइग्रेन की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
माइग्रेन की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
माइग्रेन की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
माइग्रेन की समस्या में तिल का सेवन
एक लोहे की कड़ाही में एक चम्मच तिल लें और उसे धीमी आंच पर तब तक भूनें, जब तक कि तिल पॉप (ध्वनि) और रंग न बदल जाए।तिल को ठंडा होने दें। तिल को तब तक चबाएं जब तक आपको मुंह में तेल न लग जाए और किर एक गिलास पानी पिये । इसे 21दिनों तक खाली पेट लीजिये। यदि आपको अभी भी लगता है कि माइग्रेन से राहत नहीं मिली है, तो 15दिनों का अंतराल दें और फिर 21दिनों के लिए फिर से तिल का सेवन शुरू कर दे। यह चक्र तब तकदोहराएं जब तक कि माइग्रेन न चला जाए।
माइग्रेन की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Migraine)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का माइग्रेन की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
जिगर की सफाई के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Liver
Liver जिगर की सफाई के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का जिगर की सफाई के लिए सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सिताबा
- मेथी के दाने या पत्ते
- पथरचट्टा
- पुनर्नवा
- भुंई आवला
- कँघी के पत्ते
जिगर की सफाई के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
जिगर की सफाई के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
जिगर की सफाई के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Liver)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का जिगर की सफाई के लिए सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
दिल में छेद की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Hole in the Heart
Hole in the Heart दिल में छेद की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का दिल में छेद की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- धनियाँ पत्ता
- तुलसी के पत्ते
- पान का पत्ता
- पुदीना
- गिलोय के पत्ते
- कँघी के पत्ते
दिल में छेद की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
दिल में छेद की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
दिल में छेद की समस्या में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम 1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को 9 सप्ताह तक दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
दिल में छेद की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Hole in the Heart)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का दिल में छेद की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
यूरिक अम्ल के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Uric Acid
Uric Acid यूरिक अम्ल के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का यूरिक अम्ल की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हारशिंगार या पारिजात
- धनिया पत्ता
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- पुनर्नवा
- कंघी के पत्ते
यूरिक अम्ल के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
यूरिक अम्ल के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
यूरिक अम्ल के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Uric Acid)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का यूरिक अम्ल की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
एंडोमेट्रीओसिस के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Endometriosis
Endometriosis एंडोमेट्रीओसिस के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का एंडोमेट्रीओसिस की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- ईमली के कोमल पत्ते
- पान का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- लाल अंबरी/पटवा के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
एंडोमेट्रीओसिस के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
एंडोमेट्रीओसिस के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
एंडोमेट्रीओसिस में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
एंडोमेट्रीओसिस के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Endometriosis)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का एंडोमेट्रीओसिस की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
ट्राइग्लिसराइड के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Triglyceride
Triglyceride ट्राइग्लिसराइड के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का ट्राइग्लिसराइड की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते
- बेल के पत्ते
- धनियाँ के पत्ते
- सर्पगंधा
- नागफनी
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
ट्राइग्लिसराइड के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
ट्राइग्लिसराइड के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
ट्राइग्लिसराइड में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
ट्राइग्लिसराइड के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Triglyceride)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का ट्राइग्लिसराइड की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
साइनसाइटिस के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Sinusitis
Sinusitis साइनसाइटिस के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का साइनसाइटिस की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हल्दी
- अदरक
- सिताबा
- नीम
- करी पत्ता
- दूब घास
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
- माज्तरी/मास्तारी
साइनसाइटिस के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
साइनसाइटिस के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
साइनसाइटिस के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Sinusitis)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का साइनसाइटिस की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
पक्षाघात के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Paralysis
Paralysis पक्षाघात के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का पक्षाघात की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- अमरुद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- पीपल के पत्ते
- सिताबा
- नीम का पत्ता
- दालचीनी
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
पक्षाघात के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
पक्षाघात के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
पक्षाघात में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
पक्षाघात के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Paralysis)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का पक्षाघात की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
हथेलियों में पसीना की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Sweating in Palm
हथेलियों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का हथेलियों में पसीना की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
हथेलियों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
हथेलियों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
हथेलियों में पसीना की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
हथेलियों में पसीना की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Sweating in Palm)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का हथेलियों में पसीना की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
खर्राटों की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Snoring
खर्राटों की समस्या की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का खर्राटों की समस्या की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
खर्राटों की समस्या की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
खर्राटों की समस्या की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
खर्राटों की समस्या की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
खर्राटों की समस्या की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For
Snoring)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का खर्राटों की समस्या की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
अग्न्याशय की समस्या के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Pancreas
Pancreas अग्न्याशय की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का अग्न्याशय की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सिताबा
- मेथी के दाने या पत्ते
- पथरचट्टा
- पुनर्नवा
- भुंई आवला
- कँघी के पत्ते
अग्न्याशय की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
अग्न्याशय की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
अग्न्याशय की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Pancreas)
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का अग्न्याशय की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
मूत्रमार्ग संरचना के लिए मिलेट डाइट Millet Diet Plan For Urethral Stricture
मूत्रमार्ग संरचना के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का मूत्रमार्ग संरचना की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- हारशिंगार या पारिजात
- धनिया पत्ता
- पथरचटा या पथरचट्टा
- केले का तना
- पुनर्नवा
- कंघी के पत्ते
मूत्रमार्ग संरचना के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
मूत्रमार्ग संरचना के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
मूत्रमार्ग संरचना के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान (Millet Diet Plan For Urethral Stricture )
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का मूत्रमार्ग संरचना की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -3 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा के लिए मिलेट डाइट
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सहज/मोरिंगा के पत्ते
- ईमली के कोमल पत्ते
- पान का पत्ता
- कलिंग/करंज के पत्ते
- लाल अंबरी/पटवा के पत्ते
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- कुसुम तेल
- मूंगफली का तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का फाइब्रॉएड और फाइब्रो एडेनोमा की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -3 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन
एनजाइना पेक्टोरिस के लिए मिलेट डाइट
एनजाइना पेक्टोरिस के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का एनजाइना पेक्टोरिस की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते
- बेल के पत्ते
- धनियाँ के पत्ते
- सर्पगंधा
- नागफनी
- कंघी के पत्ते
- गिलोय के पत्ते
एनजाइना पेक्टोरिस के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
एनजाइना पेक्टोरिस के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
एनजाइना पेक्टोरिस में रस का सेवन
निचे बताये गए रस मेसे कम से कम1 प्रकार के रस का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- खीरा
- लौकी
- सफेद पेठा
रस और काढ़ा सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। रस का सेवन खाली पेट ही करना चाहिए।
एनजाइना पेक्टोरिस के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का एनजाइना पेक्टोरिस की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -2 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -2 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -2 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -2 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -2 दिन
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या के लिए मिलेट डाइट
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का पैरों के तलवों में पसीना की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
पैरों के तलवों में पसीना की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का पैरों के तलवों में पसीना की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
लुकनत सुनने में समस्या के लिए मिलेट डाइट
लुकनत सुनने में समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का लुकनत सुनने में समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- दूब घास
- अमरूद के पत्ते
- हारशिंगार या पारिजात
- सिताबा
- हल्दी
- कंघी के पत्ते
लुकनत सुनने में समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
लुकनत सुनने में समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
लुकनत सुनने में समस्या में तेल का सेवन
निचे बताये गए तेल मेसे कम से कम 3 प्रकार के तेल का सेवन एक सप्ताह तक करे और चक्र को दोहराएं।
- नारियल तेल
- तिल का तेल
- राम तिल का तेल
कसाय पिने और तेल सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर होना चाहिए। तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच तक ले। तेल बैल चालित लकड़ी घाना से प्राप्त होना चाहिए और इसे कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए।
लुकनत सुनने में समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का लुकनत सुनने में समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -1 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -3 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -3 दिन
हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या के लिए मिलेट डाइट
हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा)
निचे बताये गए कषाय में से कम से कम तीन प्रकार के कषाय का हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या होने पर सेवन करें, प्रत्येक प्रकार की कषाय को एक सप्ताह के लिए सेवन करना चाहिए।
- सिताबा
- मेथी के दाने या पत्ते
- पथरचट्टा
- पुनर्नवा
- भुंई आवला
- कँघी के पत्ते
हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) पिने की अवधि
उपरोक्त सभी काढ़ा एक सप्ताह तक सेवन करें और चक्र को दोहराएं।
हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या के लिए कषाय (काढ़ा) बनाने की विधि
200ml लीटर पानी में कषाय की 1/2 मुट्ठी छोटी पत्तिया या 3-4 बढ़ी पत्तियाँ और अन्य सामग्री डालें, 4-5 Minute के लिए इसे उबालें और छान लें। आवश्यकता हो तो खजूर का गुड़ भी मिला सकते है। कषाय (काढ़ा) गर्म होने पर ही पिए।
हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या के लिए सिरिधान्य मिलेट डाइट प्लान
नीचे बताये गए मिलेट का उसी क्रम में इससे बने हुए आहार का हेपेटाइटिस ए और बी की समस्या होने पर सेवन करे। विशेष लाभ हेतु 9 सप्ताह तक सिरिधान्य को अम्बली के रूप में सेवन करें।
- कुटकी (Little Millet) -1 दिन
- कोदो (Kodo Millet) -1 दिन
- सावां/झंगोरा (Barnyard Millet) -3 दिन
- कांगणी/काकुम (Foxtail Millet) -1 दिन
- मक्रा/मुरात (Browntop Millet) -1 दिन